ऑनलाइन एज्युकेशन की पीड़ा
विद्यार्थियों का शैक्षणिक नुकसान न हो इसलिए राज्य सरकार ने शालेय विद्यार्थियों के लिए ऑनलाईन शिक्षा की व्यवस्था की है. किंतु जिन घरों में दो समय का चूल्हा भी नहीं जलता हो उस घर के बालको के लिए ऑनलाईन शिक्षा यह दिवा स्वप्न से कम नहीं है. क्योंकि ऑनलाईन शिक्षा के लिए मोबाइल या लॅपटॉप होना जरूरी है. लेकिन जिन घरों में लॉकडाऊन रोजगार के अभाव के कारण इतनी दयनीय हालत आ गई है कि जिसका विश्लेषण महाकाल की इन काव्य पंक्तियों से किया जा सकता है. ‘कई दिनों तक चक्की रोई, चूल्हा रहा उदास, कई दिनों तक कानी कुतिया बैठी उसके पास’. यह चित्र देश के अधिकांश घरों का है. बेशक अनलॉक प्रक्रिया के तहत सभी कुछ आरंभ हो रहा है. लेकिन जो गति लॉकडाऊन से पूर्व व्यापार एवं रोजगार की थी वह लगभग थम गई है. कार्य आरंभ तो अवश्य हो गया है. लेकिन गति का इंतजार है. इस हालत में पालक के सामने एक प्रश्न तीव्रता से उभर रहा है कि वे अपने पाल्यों को किस तरह ऑनलाईन शिक्षा दे. जो लोग संपन्न है उनके लिए भले ही यह एक सरल मार्ग है. लेकिन विपन्नता के साये में जो लोग जी रहे है. उनकी स्थिति अत्यंत चिंताजनक है. पालक फिर भी एक उम्मीद के सहारे अपने पाल्यों को ढांढस बंधा रहा है कि कुछ दिनों में सभी कुछ सामान्य हो जायेगा. लेेकिन बालको को शिक्षा से वंचित रहना उचित नहीं लग रहा हैे. वे अपने अन्य मित्रों की तरह ऑनलाईन शिक्षा से जुडना चाहते है. इसके लिए अनेक बालक मोबाइल की जिद करने लगे है. हाल ही में देश के अनेक राज्यों में नौनिहालों ने मोबाइल न मिलने के कारण आत्महत्या की है. महाराष्ट्र,पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडू, असम, पंजाब, गुजरात,कर्नाटक इन राज्यों में अब तक १० विद्यार्थियों ने आत्महत्या की है. कुछ दिनों पूर्व एक बालक घर की छत पर चढा़ गया व मोबाइल न मिलने पर छत से छलांग लगाने की चेतावनी देने लगा. पुलिस ने सूझबूझ से उक्त बालक को नीचे उतारा. शिक्षा व्यवस्था का उद्देश्य सभी के मन में समानता का भाव निर्माण करना है. लेकिन वर्तमान में जो ऑनलाईन शिक्षा का सिलसिला आरंभ हुआ है उसके कारण अनेक बालक जिनके पास मोबाइल नहीं है. उनके मन में हीन भावना निर्माण हो रही है. जिससे बालको के व्यवहारों में असंतुलन पाया जा रहा है. वहीं पर पालको की दशा भी चिंतनीय हो गई है.
वर्तमान मेें कोरोना का संक्रमण जारी है. जिसके कारण शालेय आरंभ नहीं हो पायी है. बेशक अनलॉक या बिगिन अगेन प्रक्रिया के तहत शालाओं को आरंभ करने का कार्य संभव है. इस दिशा में सरकार प्रयासरत भी है. लेकिन पालको के मन में बीमारी का भय रहने के कारण शालाए आरंभ होने पर भी वे अपने पाल्यों को वहां भेज पायेंगे या नहीं. यह भी एक चिंतनीय विषय है. यदि पालको ने उत्साह नहीं दिखाया तो शालाओं को फिर से बंद करने की आवश्यकता पड़ सकती है. कुछ देशों ने कोरोना के संक्रमण के बावजूद शालाए आरंभ की जिसका उन्हें बुरी तरह खामियाजा भुगतना पड़ा. इस हालत में देश के अनेक पालक अपने पाल्यों को शाला में भेजने के पक्ष में नहीं है.
कोरोना का संक्रमण जारी है तथा ऑनलाइन शिक्षा के बिना कोई संसाधन नहीं है, ऐसे में अनेक लोगों को ऑनलाईन शिक्षा पाने के लिए परेशान होना पड़ रहा हैे. सरकार को चाहिए कि ऐसी कोई व्यवस्था करे जिससे ऑनलाइन शिक्षा का बोझ विद्यार्थियों पर न पड़े. इसके लिए कुछ जानकारो ने मार्ग सुझाया है कि जिन विद्यार्थियों के पास मोबाइल नहीं उनके लिए स्वास्थ्य पुस्तिका होना जरूरी है. इसके लिए प्रशासन को चाहिए कि जो विद्यार्थी शिक्षा हासिल करना चाहते है लेकिन उनके पास ऑनलाईन सेवा के लिए उपयुक्त सामग्री नहीं है. उन्हें ऑफलाईन शिक्षा दी जाए. शिक्षकगण व शिक्षण संस्थाएं प्रयत्न करे ताकि विद्यार्थियों का शैक्षणिक नुकसान न हो. कोरोना का संक्रमण कब तक रहेगा यह कहा नहीं जा सकता. इसलिए सरकार को शिक्षा के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करना चाहिए.बेशक हर परिसर के विद्यार्थियों के लिए पास के ही स्कूल में स्वाध्याय आदि की व्यवस्था की जाए. आज देश में अनेक विद्यार्थियों के पास ऑनलाईन व्यवस्था जुडऩे के लिए मोबाइल नहीं है, ऐसे में यह बालक अपनी शिक्षा का नुकसान न हो इसलिए मोबाइल के लिए जिद कर रहे है.
उन्हें भी कुछ स्थितियों को समझना होगा. यदि किन्ही कारणों से मोबाइल नहीं मिल रहा है तो थोड़ा सब्र भी करना आवश्यक है. कुल मिलाकर सरकार ने विद्यार्थियो की शिक्षा का सिलसिला जारी रखने के लिए अलग-अलग तरीके से प्रयोग किए जाने चाहिए. विद्यार्थी जिन पर देश की उम्मीदे है. यदि उन्हें योग्य शिक्षा नहीं मिल रही है तो उनके नुकसान के साथ साथ देश का भी नुकसान हो रहा है. इस हालत में सरकार जिस तरह पाठ्यपुस्तके नि:शुल्क वितरित करती है. उसी तरह विद्यार्थियों को मोबाइल भी उपलब्ध कराए जा सकते है. इसलिए पालको को अपने पाल्यों पर पूरा ध्यान देना होगा. सरकार ने कुछ दिनों पूर्व मोबाइल की कीमत कम करने की बात कही थी. लेकिन मोबाइल की कीमतों में अभी बढ़ोतरी जारी है. जिसके चलते जरूरी है कि मोबाइल सर्व सामान्य को उपलब्ध हो,ऐसी व्यवस्था भी की जानी चाहिए.