संपादकीय

संक्रमण काल में शक्ति प्रदर्शन

एक ओर देश में कोरोना संक्रमण के चलते इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि सोशल डिस्टेसिंग, मास्क का उपयोग करे. लेकिन वहीं पर चुनाव के मद्देनजर अनेक राज्यों में देश के नेताओं द्बारा शक्ति प्रदर्शन का सिलसिला जारी है. हाल ही में पश्चिम बंगाल में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शहा ने शक्ति प्रदर्शन का आयोजन किया था. इस रैली में हजारों की संख्या में महिला पुरूष शामिल हुए. रैली में कहीं भी सोशल डिस्टेसिंग जैसी बात नजर नहीं आयी. लोगों की भारी भीड इस रैली में नजर आयी. आगामी 29 तारीख को ममता बैनर्जी द्बारा रैली निकाली जाने की बात कही जा रही है. जबकि सभी जगह सोशल डिस्टेसिंग का आग्रह सरकार की ओर से किया जाता है. लेकिन जब केन्द्र के मंत्री ही अपना चुनावी लाभ देखते हुए यदि शक्ति प्रदर्शन करेंगे तो इसका विपरित परिणाम सामने आ सकता है . क्योंकि देश में कोरोना का संक्रमण भले ही हुआ है. लेकिन पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है. ऐसे में अपने आपको बीमारी से बचाने के लिए सावधानिया आवश्यक है. खासकर अनेक स्थानों पर तरह तरह के आंदोलन भी जारी है. राजधानी में अनेक किसान पहुंचे हुए है. वहां पर अत्याधिक प्रमाण में ठंड का माहौल है. ऐसे में बीमारियां अपना रूप दिखा सकती है. यही कारण है कि लोग डब्ल्यूएचओ के मार्गदर्शन में कोरोना से बचाव के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे है. जो भी आवश्यक सूचनाएं मिल रही है उसका पालन भी कर रहे है. लेकिन बीमारी का संक्रमण अभी भी कायम है. जरूरी है कि जनसामान्य को पूरी तरह सावधान रहने के लिए प्रेरित किया जाए. इससे भौतिक दूरी बनी रहती है. लेकिन जब रैलियों व शक्ति प्रदर्शन का दौर आता है तो इन सावधानियों को हाशिये पर रख दिया जाता है. जरूरी है कि इस बारे में सामान्य नागरिक अपने स्वास्थ्य को लेकर सजग रहे. डब्ल्यूएचओ द्बारा जो बीमारी से बचाव के जो निर्देश दिए है. उसका हर किसी को पालन करना चाहिए. मास्क यह समय की मांग है . इस बारे में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे का यह कहना गलत नहीं है कि अभी और 6 माह तक मास्क लगाए रखना जरूरी है . वैसे भी मास्क यह हरदम रहना चाहिए. क्योंकि वातावरण में केवल बीमारियों के वायरस ही नहीं घूम रहे बल्कि कुछ नये रूप से भी कीटाणू शरीर में प्रवेश कर सकते है. इसलिए मास्क ही एकमात्र ऐसा साधन है. जो बाहरी संक्रमण को रोकता है. यहां पर हर किसी को सावधान होकर कार्य करना चाहिए. अन्यथा थोडी भी लापरवाही से भी बीमारी बढ सकती है. इसलिए जब तक कोरोना का संकट पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाता. चुनाव को या तो आगे स्थगित कर देना चाहिए अन्यथा अन्य क्षेत्रों की तरह उसमें सावधानी बरतने के निर्देश दिए जाने चाहिए. राज्य सरकार ने आनेवाले समय में संक्रमण का कोई शिकार न हो. सरकार ने ब्रिटेन से भारत आनेवाली हवाई जहाजों को 5 जनवरी के लिए स्थगित किया गया है.
इसी तरह महाराष्ट्र में रात 11 बजे से सुबह 6 बजे तक संचारबंदी लागू की है. अनावश्यक रूप से लोग रात को न घूमे इस बात को लेकर यह सावधानी बरती जा रही है. क्यों कि देश में वर्तमान में जो कोरोना का संक्रमण बढ रहा है. उससे बचाव के लिए प्रशासन की ओर से अनेक प्रयास किए जा रहे है. निश्चित रूप से लगातार प्रयासों से बीमारी को रोका जा सकता है. इस बारे में जिस तरह सामान्य नागरिक संयम का परिचय दे रहा है. उसी तरह राजनीतिक दलों को भी योग्य संयम बरतना आवश्यक है. शक्ति प्रदर्शन के लिए कोई और भी समय चुना जा सकता था. लेकिन कोरोना काल में ही इस तरह का भव्य शक्तिप्रदर्शन पश्चिम बंगाल में किया गया. आनेवाली 29 तारीख को ही प्र्रतिउत्तर स्वरूप ममता वैनर्जी की ओर से भी रैली निकाली जायेगी. जिससे संक्रमण का खतरा बढ सकता है. इसलिए जरूरी है कि राजनीतिक दल भी बीमारी को देखते हुए अपनी रैलियों को न होने दे.आनेवाले दिनों मेें कोरोना का संक्रमण और तीव्र होने की संभावना जताई जा रही है. इसलिए समय का ध्यान रखते हुए सभी को सावधानी बरतना आवश्यक है. यदि हर कोई इस बात का ध्यान रखे तो कोरोना के संक्रमण को कमजोर किया जा सकता है. कुल मिलाकर देश मेें कोरोना का संकट अभी कायम है. इसलिए लापरवाही बरतना उचित नहीं है. ऐसे में सभी को चाहिए कि वे कोरोना से बचाव के सभी नियमों का पालन करे. इससे वे स्वयं तो स्वस्थ रहेंगेे ही साथ ही अन्य लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी कार्य कर सकेंगे.

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