संपादकीय

बालभिक्षा के खिलाफ योग्य कदम

पुलिस ने नौनिहालों से भीख मंगवाने वाले दो लोगों को गिरफ्तार किया है. इसमें एक महिला भी शामिल है. अमरावती में इस तरह की कार्रवाई पहलीबार की गई है. निश्चित रूप से यह कदम महत्वपूूर्ण है.बीते कुछ वर्षो से हर शहर में बाल भिखारियों की संख्या बढ़ने लगी है. जिससे सामान्य लोगों को परेशानी का सामना भी करना पड़ रहा है. क्योिांक किसी भी प्रतिष्ठान के सामने यह बाल भिखारी खड़े हो जाते है तथा वहां पर आनेजानेवाले ग्राहकों से भीख मांगते है. इससे लोगों का इन नौनिहालों से संसर्ग होता है जिससे बीमारियों को भी खतरा कायम रहता है. बाल भिखारियों के मामले में कई बार यह तथ्य सामने आए है कि विभिन्न क्षेत्रों से बालको को अगवा कर उन्हें जबरन भीख मांगने को मजबूर किया जाता है. इसमें मानवीय तस्करी की भी गंध मिलती है. चूकि भीख मांगनवाले बालकों की ओर कोई ध्यान नहीं देता तथा उन्हें भीख देकर छूटकारा पाना चाहता है. लोगों की इसी मजबूरी का भीख मांगनेवाले नौनिहाल लाभ उठाते है. बाल भिखारियों की संख्या दिनों दिन बढ़ रही है. लेकिन कोई कार्रवाई न होते देख जनसामान्य भी ऐसे बाल भिखारियों के प्रति दुर्लक्ष कर देते है. पुलिस प्रशाासन ने इस मामले में कार्रवाई कर योग्य कदम उठाए हैे. जन सामान्य को भी इस मामले में जागरूकता बरतनी होगी. खासकर दयाभाव के चलते यदि किसी बाल भिखारी को भीख दी जाती है तो वही भीख उसके लिए मुसीबत का सबब बनती है. क्योंकि जब तक लोगों से नौनिहालों को नगद राशि के रूप में भीख मिलती रहेगी तब तक उनका शोषण होता रहेगा. इसके लिए जरूरी हैकि नागरिक किसी भूखे नौनिहाल को यदि भोजन कराती है तो यह उचित है. क्योंकि जिसे भूख व्याकुल कर रही है वह तत्काल भोजन या जो भी खाद्य पदार्थ मिले उसे खा सकता है. इसलिए भीख मांगनेवाले नौनिहाल को पैसे देने की बजाय नागरिक खाने की वस्तुए दे तो उसका दोहरा लाभ होगा. क्योंकि अधिकांश नौनिहाल से भीख मंगवानेवाले काफी देर तक बालको को भूखा रखते है ताकि उनकी मासूमियत दिखे तथा लोग पसीज कर उन्हें भीख दे दे. दूसरा भोजन मिलने से नौनिहालों की क्षुदा तृप्ती हो सकती है. विशेष पैसे मिलने के कारण जो भीख मांगने व मंगवानेवालों का रैकेट सक्रिय है. उस पर रोक लग सकती है. इसलिए जरूरी है कि जनसामान्य जनजागृति का परिचय दे. नौनिहालों को नगद राशि देने की बजाय कुछ खाने की सामग्री दे. अमरावती में लोगों में दयाभाव प्रचुर है. यही कारण है कि लॉकडाऊन के समय अनेक सेवाभावी संस्थाओं ने सड़क किनारे जीवनबसर करनेवाले भिखारियों को भोजन आदि उपलब्ध कराया. यहां तक की पशुओं को भी आहार मिले. इसलिए अनेक लोगों ने कुत्तों को बिस्किट आदि खाने को दिया. इससे यह तो स्पष्ट है कि शहरवासियों की अन्य लोगों के प्रति संवेदनाए है. लेकिन इन संवदेनाओं का दुरूपयोग नहीं होना चाहिए. जो लोग नौनिहालों को भिक्षा टन में लगाकर उनका जीवन बरबाद कर रहे है. चाहे वे नौनिहालों के पालक क्यों न हो उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. छोटे-छोटे नौनिहाल सड़को पर भीख मांगते है तो यह दु:खद बात है. इसके लिए जरूरी है कि जन सामान्य स्वयं नौनिहालों को नगद भीख न देने की वजह उन्हें खाने योग्य वस्तुएं दे ताकि उनके मन की शांति हो सके. पुलिस प्रशासन की ओर से भी इस ओर ध्यान देना आवश्यक है. बेशक भीख मांगते बालक दया के पात्र है. लेकिन उन्हें भीख मांगने के लिए मजबूर करनेवाले पालको या अन्य लोगों के खिलाफ कडी कार्रवाई होनी चाहिए. पाया जा रहा है कि हर वर्ष देश में हजारों बालक लापता हो जाते है.सरकार की ओर से हर वर्ष ऑपरेशन मुस्कान चलाया जाता है. ऐसी हालत में जरूरी है कि यह पता लगाया जाए कि भीख मांगनेवाले नौनिहालों में वे बालक तो शामिल नहीं जिन्हें अगवा कर लाया गया है. यदि इन मामलों में प्रशासन की ओर से विशेष ध्यान दिया गया तो देशभर में होती मानवीय तस्करी पर रोक लग सकती है. बहरहाल शहर कोतवाली पुलिस ने इस मामले में दो लोगों के खिलाफ कार्रवाई की है. यह सिलसिला निरंतर जारी रहना चाहिए. इससे बाल भिखारियों के कारण उत्पन्न होनेवाली समस्याएं भी दूर हो सकेगी. अनेक व्यापारी संकुलों के सामने बाल भिखारियों द्वारा डेरा डाल दिया जाता है तथा संकुलों के आसपास इन बाल भिखारियों द्वारा की जानेवाली अठखेलियां दुकानदारों के लिए परेशानी का कारण बनती है. जरूरी है कि इस बारे में प्रशासन की ओर से विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए. सड़को पर भीख मांगनवाले बालको के प्रति भले ही हर कोई सहानुभूति रखता है. लेकिन इस बारे में यह ध्यान देना जरूरी है कि उनकी सहानुभूति कहीं बालको का भविष्य तो नष्ट नहीं कर रही.
कुल मिलाकर नौनिहालों की होती दुर्दशा यह चिंता का विषय है. इस पर रोक लगाने के लिए योग्य कदम उठाए जाने चाहिए. इस बात का भी पता लगाना जरूरी है कि भीख मांगने के नाम पर मानवीय तस्करी को तो बढ़ावा नहीं मिल रहा है. इस बारे में यदि निरंतर कार्रवाई होती रही तो निश्चित रूप से बाल भिखारियों की संख्या में कमी आयेगी.

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