संपादकीय

सहयोग संग गुणवत्ता भी जरुरी

कोरोना संकट के कारण जटील स्थितियों से गुजर रहे परिवारों को अनाज देने का वादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्बारा किया गया था. अनाज देने की यह प्रक्रिया नवंबर माह तक जारी रखने के बात भी उन्होंने अपने संदेश में कहीं थी. इस दौरान अनेक त्यौहार आते है, जिसमें नवरात्र, दीपावली, छठपूजा (सूर्यपूजा) का उल्लेख भी उन्होंने अपने संभाषण में किया था. निश्चित रुप से उनकी यह घोषणा अनेक जरुरतमंद परिवारों के लिए राहत स्वरुप थी. लेकिन पाया जा रहा है कि, विदर्भ के अनेक सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों में दिये जाने वाला अनाज अत्यंत हलके दर्जे का है. विशेष कर वर्धा जिले के समुद्रपुर, कारंजा, आष्टी सहित अनेक स्थानों से अनाज की गुणवत्ता को लेकर शिकायतें सामने आ रही है. राशन की दुकानों में सडा या हलके दर्जे का माल बेचने की जांच की जाने की मांग जनवादी महिला संगठन द्बारा की गई है. हालाकि वर्धा के आपूर्ति अधिकारी ने कहा है कि, राशन दुकान पर खराब अनाज मिलने की उन्हें कोई शिकायत नहीं मिली है.

शिकायत मिलने पर संबंधित दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. मुख्य बात तो यह है कि, जिस अनाज की आपूर्ति हो रही है. वह भी सरकारी गोदामों से ही हो रही है. ऐसे में इस बात का पता लगाया जाना जरुरी है कि, जो अनाज राशन दुकानों को आवंटित हो रहा है क्या उसी की ही बिक्री हो रही है या अच्छा अनाज बाजार में पहुंचाकर घटिया अनाज उपभोक्ताओं को सौंपा जा रहा है. इस बात का पता लगाना अतिआवश्यक है. यह जिम्मेदारी स्वयं आपूर्ति विभाग की है. संभव है शिकायत नहीं मिल रही हो, पर संबंधित विभाग इस बारे में निगरानी तो रख सकता है.

कोरोना संक्रमण के कारण सरकारी कार्यालयों में भी कार्य अधूरे चल रहे है. ऐसे में यदि शिकायत मिल भी जाये, तो उस पर तत्काल कार्रवाई की व्यवस्था नहीं है. कोरोना के संक्रमण के कारण अनेक परिवारों की हालत दयनीय हो गई है. यहीं वजह है कि, अनेक परिवार आज सस्ते में अनाज पाने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों की शरण ले रहे है. लेकिन यहां पर भी यदि उन्हें उपयुक्त अनाज न मिल पाये, तो निश्चित रुप से उनके लिए निराशा का विषय है. सरकार के लिए तो इतना ही काफी है कि, उन्होंने नवंबर तक अनाज देने का वादा किया है. उसे पूरा कर रहे है. लेकिन अनाज का स्तर क्या है. इसकी भी जांच होनी चाहिए. कोरोना संक्रमण से पूर्व अनेक परिवार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अनाज का उपयोग नहीं करते थे. अनेक राशन कार्ड केवल इसलिए बंद है कि, कार्डधारकों ने कई महिनों से या कई वर्षों से अनाज नहीं उठाया है. अब चूंकि विभिन्न मामलों में राशन कार्ड की आवश्यकता बढने लगी है. जिसके चलते उन्होंने राशन कार्ड पुनर्जीवित करने के लिए संबंधित कार्यालयों में निवेदन भी किये है. लेकिन अभी तक उनके कार्ड पुनर्जीवित नहीं हुए है.

अत: प्रशासन को इस ओर भी ध्यान देना होगा. कोरोना संकट के कारण अनेक लोगों के रोजगार प्रभावित हुए है. कई लोग नौकरियों से हटा दिये जाने के कारण उनके सामने आजीविका का प्रश्न निर्माण हो गया है. ऐसे में आवश्यक है कि, उन्हें सरकारी स्तर पर मिलने वाली सुविधाओं का लाभ मिले. खासकर जीने के लिए अनाज आवश्यक है. जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से उन्हें प्राप्त होता है. उसे सुचारु करने के साथ-साथ अनाज का स्तर भी सुधारा जाना चाहिए. क्योकि हलके स्तर का अनाज भी स्वास्थ्य के लिए भी घातक साबित हो सकता है. वर्तमान में जारी कोरोना संकट में बीमारी से बचने के लिए आंतरिक बीमारी प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होना आवश्यक है. हर किसी के लिए उपयुक्त प्रोटीन मिलना संभव नहीं. इस हालत में यदि उन्हें योग्य अनाज भी प्राप्त होता है, तो वे अपनी शक्ति बनाये रख सकते है. जरुरी है कि, सरकार की ओर से दिया जाने वाला अनाज पोषक तत्वों से पूर्ण है या नहीं इसकी भी जांच आवश्यक है.

बहरहाल जिस तरह विदर्र्भ के कुछ जिलों में हलके दर्जे का अनाज दिये जाने की शिकायतें मिल रही है. इसकी सर्वांगिण जांच कर योग्य कदम उठाना आवश्यक है. अन्यथा सरकार द्बारा विभिन्न प्रकार के जतन कर लोगों को अनाज उपलब्ध कराने के प्रयास में सेंध लगने में देरी नहीं लगेगी.

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