संपादकीय

आशा की किरण

अनेक संकटों के बीच स्वतंत्रता दिवस का आगमन हुआ है. स्वतंत्रता दिवस की ७४ वीं वर्षगांठ पर जहां कोरोना विषाणु के संक्रमण से देश में अब तक अनेक लोगों की जान जा चुकी है तथा रोजाना मरीजों की संख्या बढ़ रही है. वहीं पर सीमाओं पर भी सजग रहने की अति आवश्यकता निर्माण हो गई है. इस हालत में इस पर्व को लेकर अनेक चिंताएं भी सामने है. लेकिन भारतवासी कभी भी विपरित स्थितियों से घबराए नहीं है. भारतवासी ने हर स्थिति का डटकर मुकाबला किया है. इतना ही नहीं उस पर जीत भी हासिल की है. कोरोना संक्रमण के मामले को लेकर भले ही राष्ट्र के सामने अनेक चिंताए हो लेकिन देशवासी अपने आत्मबल के जरिए उसे नष्ट करने में सक्षम है. सीमाओं पर शत्रुओं की हलचल भले ही एक बार को चिंता उत्पन्न कर सकती है. लेकिन भारत के जबाज सैनिको ने हर बार ऐसी स्थिति में बदलकर दिखाया है. मामला चाहे आतंकवाद का हो या विस्तारीकरण का. भारत में इस बात का डटकर मुकाबला किया है और भविष्य में भी देश ऐसी स्थितियों से सहजतापूर्वक निपट सकता है. हालाकि पर्व कोरोना संक्रमण के कारण उस उत्साह से नहीं मनाया जा सका. जो उत्साह हर बार दिखाई देता है.यहां एक अंतर यह भी है. इससे पूर्व हम जो देखते थे वह भौतिक उत्साह था. लेकिन इस बार लोगों ने भले ही अपने घरों में स्वतंत्रता दिवस की वर्षगांठ मनाई. किंतु उसका जो उत्साह था वह किसी भी दृष्टि से कम नहीं था. हर क्षेत्र में अबालवृध्दों ने स्वतंत्रता दिवस पर भारतमाता की जय के नारे लगाकर अपना उत्साह दिखाया. निश्चित रूप से देश के प्रति अब लोगों मेंं जो आत्मीयता जाग रही है वह देश को आत्मनिर्भर होने की व्याख्या को उजागर कर रहा है.
निराशा का अंधकार जब पूरी तरह फैल जाता है तब आशाए ही मार्ग दिखाती है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में इस बात का जिक्र किया है कि कोराना पर मात करने के लिए एक नहीं तीन-तीन वैक्सीन बनाने का कार्य देश के युवा वैज्ञानिको द्वारा किया जा रहा है. यदि प्रधानमंत्री के अनुसार सभी वैक्सीन सफल होने की ओर है. वैज्ञानिको द्वारा जैसे ही वैक्सीन के इस्तेमाल पर हरी झंडी दिखाई जाती है. वैसे ही इसका पर्याप्त प्रमाण में उत्पादन और लोगों तक पहुंचाने का कार्य किया जायेगा. निश्चित रूप से देश जिस बीमारी से जूझ रहा है उसे देखते हुए यह वैक्सीन आरंभ होते ही बीमारी का खतरा टल जायेगा. प्रधानमंत्री इस कार्य के प्रति आशावान है. अभिप्राय यह कि वर्ष २०२० में संकटों की भरमार है. इस बारे में स्वयं प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के युवाओं में बहुत कुछ करने की क्षमता है. वे अपने प्रयासों से कार्यो को गति दे सकते है. इसी तरह सीमा पर तैनात सेना के जवान सीमा की रक्षा करने के लिए सक्रिय है, ऐसे में भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है. निश्चित रूप से जो राष्ट्र के प्रति भावना जाग रही है वह भविष्य में भारत के विकास के लिए सहायक साबित होगी.
किसानों के लिए भी १५ अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले के प्राचीर से कहा है कि उन्हें भविष्य में आशा की किरण दिखाई दे रही है. आत्मनिर्भरता का मंत्र देश के विकास के लिए पूरक साबित होगा. आत्मनिर्भरता के लिए सभी देशवासियों को आगे आना होगा. पहले किसान अपने उत्पादो को बेचने के लिए विवश रहता था. उसके लिए कहां वस्तु बेचना आदि की सीमा रेखा तय की गई थी. लेकिन अब प्रधानमंत्री के पहल पर देश में कोई भी किसान अपनी उत्पादित वस्तुओं को कहीं भी बेच सकता है. इससे यह स्पष्ट हो गया है कि किसानों के लिए मार्ग आसान होने लगा है. कुल मिलाकर भारत में वर्ष २०२० को अनेक संकटों से गुजरना पड़ रहा है. लेकिन देश में आत्मनिर्भरता का जो मंत्र मिला है वह देशवासियों को ऊँचाई की ओर ले जाया जा सकता है.यही कारण है कि संकट के बाद भी देश के समक्ष आशाओं की किरणे है. यही उम्मीदें देश को मजबूत करेगी.

Related Articles

Back to top button