संपादकीय

भाषा का सम्मान

राष्ट्रीय स्तर पर होनेवाली अधिकांश परीक्षाए अंग्रेजी या हिन्दी भाषा में होती है. लेकिन राज्य सरकार की ओर से लगातार प्रयास किए जाने के बाद अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ( आरबीआय) ने उपस्थिति सहायक पद के लिए होनेवाली परीक्षा मराठी भाषा में लेने का विकल्प उपलब्ध कराया है. आरबीआई की ओर से 841 उपस्थिति सहायक इस पद पर भर्ती प्रक्रिया की मंजूरी हाल ही में दी गई थी. जिसमें मुंबई विभाग में 202, नागपुर विभाग में 55 पदों पर नियुक्तिया की जानी है. जिसके लिए यह परीक्षाएं हो रही है. इसमें परीक्षार्थियों को अपनी मातृभाषा में परीक्षा देने का अवसर मिलेगा. नागपुर विभाग में नागपुर, अमरावती, चंद्रपुर केन्द्रों पर यह परीक्षा ली जायेगी. इसी तरह मुंबई विभाग में मुंबई, नई मुंबई, ठाणे, औरंगाबाद, धुले, जलगांव, कोल्हापुर, लातूर, नाशिक,पुणे, रत्नागिरी तथा सातारा केन्द्र पर यह परीक्षाएं होगी. निश्चित रूप से परीक्षा मराठी भाषा में लेकर संबंधित प्रशासन ने भाषा का सम्मान बढाया है. अब तक जो परीक्षाए होती थी वह अधिकांश तौर पर अंग्रेजी भाषा में ली जाती थी. कुछ महत्वपूर्ण पदों के लिए होनेवाली परीक्षाओं को यदि उच्च श्रेणी के अधिकारी के लिए लिया जा रहा है तो उसमें बुराई नहीं. लेकिन उपस्थिति सहायक जैसे पद के लिए ही परीक्षाएं यदि क्लीष्ट भाषाओं में होती है तो उसके सार्थक परिणाम नहीं मिल पाते. अनेक लोग विभिन्न विषयों के जानकार है. लेकिन उसे अभिव्यक्त करने के लिए भाषा की जरूरत होती है. यदि हम अपनी मातृभाषा में इस बात को अभिव्यक्त करते है तो उसका असर अधिक रहता है. इस हालात में मातृभाषा में परीक्षा होना अति आवश्यक था.
राज्य सरकार ने भाषा के इस मर्म को समझा है. इसके चलते उन्होंने आरबीआय से चर्चा की. उन्हें निवेदन भी दिए. परिणामस्वरूप सरकार के लगातार प्रयासों को सफलता मिली. आरबीआय ने अब उपस्थिति सहायक की परीक्षा मराठी भाषा में लेने का निर्णय लिया है. जिसके अनुरूप कार्य भी जारी है. महाराष्ट्र के लाखों परीक्षार्थियों को इस परीक्षा का लाभ मिल सकता है. उपस्थिति सहायक पद की होनेवाली परीक्षा अंतर्गत विद्यार्थियों को 120 अंक का प्रश्नपत्र रहेगा. विद्यार्थियों को 90 मिनिट के भीतर यह परचा पूरा करना होगा तथा भाषा प्राविण्य की जांच के लिए परीक्षा 9 व 10 अप्रैल को देश के 173 केन्द्र पर यह परीक्षा होगी. विशेष यह कि मराठी के साथ अन्य 16 भाषा के माध्यम से यह परीक्षा ली जायेगी. मराठी व कोकणी भाषा से परीक्षा देने का अवसर मिलेगा. निश्चित रूप से यह सराहनीय कदम है. इससे विद्यार्थियों को भी काफी लाभ होगा व लुप्त हो रही भाषाओं को फिर से सम्मानजनक स्थान मिल सकता है.
कुल मिलाकर भारतीय भाषाओं का महत्व सर्वत्र है. इस भाषा का उपयोग कर न केवल परीक्षा दी जा सकती है बल्कि कहीं न कहीं यह बात भाषा के प्रति सम्मान बढाने वाली है.इसलिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने जो निर्णय लिया है वह सराहनीय है. अब तक केवल स्पर्धा परीक्षा के लिए अंग्रेजी का उपयोग होता था. लेकिन अब भारतीय भाषाओं में भी परीक्षार्थियों को परीक्षा देने का अवसर मिल रहा है. इससे विद्यार्थियों को पढाई को लेकर जो मानसिक बोझ रहता है वह भी कम रहेगा. निश्चित रूप से यह निर्णय सराहनीय है. इससे विद्यार्थियों को आसानी होगी. साथ ही भाषा का सम्मान भी बढेगा. भारतीय भाषाओं में जितनी आत्मीयता है उतनी अन्य भाषाओं में नहीं है. इसीलिए कोई भी विषय जो जन-जन तक पहुंचाना है उसके लिए भारतीय भाषाओं का ही उपयोग किया जाता है. यही कारण है कि अनेक बैंकों में अब धनादेश , खाता खोलने व खाते में व्यवहार करने में अंग्रेजी भाषा के अलावा स्थानीय भाषा को भी महत्व दिया गया है. पहले अंग्रेजी भाषा में व्यवहार होने से कई बार कठिनाईया आती थी. क्योंकि हर कोई इतना अधिक शिक्षित नहीं रहता. लेकिन भारतीय भाषाए उनसे जुडी होती है तथा उसे समझने में कठिनाई नहीं होती. उसे अभिव्यक्त भी सुंदर तरीके से किया जा सकता है. इसलिए बैंक द्वारा लिया गया निर्णय उचित है. इसके दुरगामी परिणाम भी सामने आयेंगे.

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