निधि की वापसी
अमरावती जिले के मेलघाट परिसर में दो अति पिछडी तहसीले धारणी व चिखलदरा के विकास के कार्यो के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रतिवर्ष अलग-अलग योजनाओं के लिए करोडों रूपये का निधि उपलब्ध की जाती है. लेकिन प्रशासन की ओर से इस निधि का पूर्ण उपयोग न होने के कारण निधि राज्य व केन्द्र सरकार को वापस भेज दी गई. वित्तीय वर्ष 2019-20 में राज्य व केन्द्र सरकार की ओर से पर्यटन विकास आदिवासी विभाग, कुपोषण मुक्त अभियान, ग्रामीण विकास योजना, गरीब कल्याण योजना के तहत कुल 138 करोड रूपये उपलब्ध कराए गये. लेकिन प्रशासन केवल 76 करोड का ही उपयोग कर सका. संपूर्ण निधि उपयोग में न आने के कारण उसे राज्य व केन्द्र सरकार को सौंप दिया गया है. आमतौर पर विकास कार्यो के अधुरा रहने के लिए जो मुख्य कारण दिया जाता है. उसमें निधि की कमी का विशेष रूप से उल्लेख रहता है. लेकिन मेलघाट में इसके विपरित द़ृश्य दिखाई दे रहा है. यहां पर विभिन्न योजनाओं के लिए जो निधि उपलब्ध कराई गई थी. वह पूरी तरह उपयोग में नहीं आ सकी तथा इसमें से बडी राशि वापस केन्द्र व राज्य सरकार को चली गई है.
मेलघाट में जहां अनेक विकास की संभावनाए है वहीं पर जनप्रतिनिधियों को लापरवाही के कारण सारी संभावनाएं क्षीण होती जा रही है. जब उपलब्ध निधि का उपयोग नहीं हो पा रहा है तो विकास को गति कहां से मिलेगी. इसलिए अति आवश्यक है कि योग्य नियोजन कर निधि का उपयोग किया जाए. मेलघाट का घाट अपने आप में काफी रोमांच भरा है. मेलघाट से परतवाडा की ओर आते समय बीच का मार्ग अत्यंत टूटा फूटा है. इसकी दुरूस्ती यदि की जाती है तो लोगों की आवाजाई आसान हो जायेगी. इसलिए जरूरी है कि सरकार से प्राप्त निधि का सही उपयोग होना चाहिए. लेकिन पाया जाता है कि इस बारे में प्रशासन उदासीन रहता है.
मेलघाट की वन संपदा, घुमावदार मार्ग हरदम लोगों का आकर्षण बने है. इसी तरह चिखलदरा इस पर्वतीय क्षेत्र मेें अनेक स्थल ऐसे है जो पर्यटन की द़ृष्टि से लाभप्रद साबित हो सकते है. इसके लिए जरूरी है कि जनप्रतिनिधि एवं प्रशासन अपनी इच्छाशक्ति का परिचय दे. विकास के लिए प्राप्त निधि का सही उपयोग होना चाहिए. मेलघाट की वन संपदा को यदि व्यापक रूप में विकसित किया जाता है तो यह क्षेत्र पर्यटन की द़ृष्टि से काफी महत्वपूर्ण बन सकता है. वैसे भी अमरावती व आसपास के जिले के नागरिक सप्ताहांत इन क्षेत्रों में सैर सपाटा करने के लिए आते है. अमरावती जिले में तो चिखलदरा व धारणी के अंतर्गत अनेक क्षेत्रों के विकास का होना अत्यंत जरूरी है. जिससे यहां पर पर्यटन उद्योग को गति मिलेगी व मेलघाट के माथे पर जो कुपोषण का कलंक है वह मिट जायेगा तथा आदिवासी क्षेत्रोे के नागरिको को पर्यटन के माध्यम से रोजगार भी उपलब्ध हो सकता है.
हालाकि अधिकारियों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के चलते वे निधि का उपयोग नहीं कर पाए. प्रशासन की ओर से निधि का सही उपयोग हो इसलिए रूपरेखा तय की जा रही है. यदि ऐसा किया जाता है तो निश्चित रूप से विकास के कार्यो को गति मिलेगी. बार बार जो कारण दोहराया जाता है उसे अब रोकना होगा. क्योंकि यह स्पष्ट हो गया है कि निधि का समय पर उपयोग नहीं किया गया है. यदि पूरी तरह निधि का उपयोग किया जाता तो अनेक विकास कार्य के लक्ष्य को साध्य किया जा सकता था. जरूरी है कि भविष्य में निधि वापस न जाए इस बारे में पूरा ध्यान देना होगा. साथ ही उपलब्ध निधि का सही उपयोग कर विकास के कार्यो को गति दी जा सकती है. कुल मिलाकर सरकार की ओर से पिछडे क्षेत्रों के विकास के लिए अनेक स्तर पर निधि उपलब्ध कराई जाती है. इस समय प्रशासन का दायित्व है कि वह निधि का सही उपयोग करे ताकि विकास कार्यो को गति दी जा सके.