संपादकीय

सुरक्षा रेल विभाग की ही जिम्मेदारी

सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को भारतीय रेल्वे प्रशासन द्बारा दाखिल एक याचिका को रद्द करते हुए रेल्वे से सामान चोरी जाने पर रेल्वे को ही जिम्मेदारी उठाने की बात कही है. राष्ट्रीय ग्राहक निवारण आयोग द्बारा दिए गये आदेश के विरोध मे रेल्वे द्बारा दाखिल की गई शिकायत को सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है. साथ ही यात्री के चोरी गये सामान की भरपाई देने का आदेश भी रेल विभाग को दिया है. ग्राहक विवाद निवारण आयोग ने यात्रियों के चोरी गये सामान की भरपाई देने का आदेश रेल्वे को दिया था. यह आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने कायम रखा. दिल्ली से सिकंदराबाद यात्रा के दौरान एक महिला यात्री का सामान चोरी जाने के मामले में 1 लाख 33 हजार रूपये नुकसान भरपाई देने का आदेश आयोग द्बारा दिया गया था. इस आदेश को रेल विभाग ने याचिका द्बारा चुनौती दी. विशेष यह कि अदालत ने रेल्वे द्बारा दाखिल गई याचिका पर आश्चर्य व्यक्त किया. अदालत के इस निर्णय से यात्रियों को राहत मिलेगी.े आम तौर पर पाया जाता है कि आरक्षित बोगी में भी कुछ लोग अनाधिकृत रूप से घुस जाते है . जिससे यात्रा करनेवाले आरक्षण श्रेणी के यात्रियों को कठिनाई का सामना तो करना ही पडता है साथ ही चोरी का खतरा बना रहता है. जबकि नियमानुसार आरक्षित श्रेणी के बोगी में कोई गैर आरक्षित आ जाता है तो उसे जुर्माना अदा करना जरूरी हो जाता है. इतना कठोर प्रावधान होने के बाद भी आरक्षित श्रेणी की बोगियों में अनेक यात्री अवैध रूप से प्रवेश कर जाते है. इस तरह के यात्रियों पर रोक लगाई जाने की मांग अनेक यात्रियों द्बारा वर्षो से की जा रही है. जिसके बावजूद दिल्ली से सिकंदराबाद जा रही महिला यात्री को अपनी किमती सामान से हाथ धोना पडा. आरक्षण श्रेणी में जो यात्री यात्रा करते है. वे लंबी दूरी के यात्री होते है. निश्चित रूप से लंबे सफर में आसानी हो. इसलिए उन्होंने अपनी बर्थ रिजर्व कराई थी. लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
रेल यात्रा के दौरान यात्रियों की सुरक्षा हो इसलिए रेल विभाग की ओर से बडी संख्या में रेल्वे पुलिस अपनी सेवाए देती है. जिनका उद्देश्य यात्रियों की सुरक्षा करना ही होता है. बावजूद इसके यदि यात्रियों का सामान चोरी जाता है तो रेल विभाग को जिम्मेेदारी लेना जरूरी है. साथ ही यात्री अपनी सुविधा के लिए आरक्षण कराता है. जब आरक्षण श्रेणी के बोगी में अवांछनीय लोग घुस जाते है तो यात्रियों को अनावश्यक परेशानियों का भी सामना करना पडता है. इस द़ृष्टि से जरूरी हो जाता है कि रेल विभाग आरक्षित श्रेणी की बोगी में गैर आरक्षित को प्रवेश न करने दे. यदि कोई प्रवेश कर भी लेता है तो उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए.
कुल मिलाकर रेल्वे का यह दायित्व है कि वह यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी ले. हर वर्ष रेल बजट में यात्रियों की सुरक्षा के लिए अनेक प्रावधान किए जाते है. इसमें खासकर महिलाओं की सुरक्षा के लिए विशेष कदम उठाए जाने का दावा भी रेल विभाग द्बारा किया जाता है. बावजूद इसके यदि चोरी की घटना होती है या फिर यात्रियों को अनावश्यक असुविधा का सामना करना पडता है तो रेल विभाग को ही जिम्मेदार माना जाना चाहिए. रेल प्रशासन की ओर से हर क्षेत्र के लिए कर्मचारी नियुक्त किए गये है. लेकिन उनका उपयोग यदि योग्य तरीके से नहीं हो पा रहा हो तो रेल विभाग को जवाबदेही स्वीकार करनी चाहिए. बहरहाल सर्वोच्च न्यायालय द्बारा जो निर्णय लिया गया है वह काफी मायने रखता है तथा यात्रियों की सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसका यथोचित पालन होना चाहिए. इससे यात्रियों में रेल विभाग के प्रति विश्वास रहेगा. जरूरी है कि रेल्वे प्रशासन इस गंभीरता को समझे और यात्रियों को न्याय देने की दिशा में कार्य करे.

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