संपादकीय

स्वयं अनुशासन जरूरी

मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे ने सोशल मीडिया पर किए गये अपने संबोधन में कहा है कि कोरोना का संकट काफी हद तक कम हुआ है. लेकिन खतरा अभी भी कायम है. उन्होंने भविष्य में लोगों का संक्रमण का सामना न करना पडे इसलिए स्वयं अनुशासन की दलील दी. नये वर्ष में लॉकडाउन, नाईट ेकर्फ्यू जैसी स्थिति नहीं होने दी जायेगी. लेकिन इसके लिए नागरिको को स्वयं अनुशासन का पालन करना होगा. प्रदेश में लोगों को कम से कम 6 माह तक मॉस्क पहनना अनिवार्य है. हालाकि वैक्सिन की बात कही जा रही है. लेकिन इस बारे में कुछ स्पष्ट चित्र सामने नही आया है. यदि वैक्सिन आ भी जाती है तो भी 6 माह तक मास्क पहनना अनिवार्य है. कोरोना का यह संकट देशवासियों के लिए एक भीषण समस्या के रूप में सामने आया था. हालाकि अभी भी कोरोना का संकट कायम है. राज्य में अभी भी कोरोना के मरीज सामने आ रहे है. इस हालत में अति आवश्यक है कि लोग स्वयं सावधानी बरते व आनेवाले समय में इस महामारी से निजात पाए. बीते 6 माह में इस बीमारी ने जो तांडव मचाया है. उससे न केवल सामान्य व्यक्ति का स्वास्थ्य प्रभावित हुआ है बल्कि जनजीवन पर भी बुरा असर हुआ है. कोरोना के चलते लॉकडाउन आदि कारणों से अनेक व्यवसाय संकट में आ गये है. इतना ही नहीं अनेक लोगों को अपने रोजगार से हाथ धोना पडा है. यही कारण है कि सामान्य नागरिक का जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है. इसके लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. क्योंकि आफत जब अपना प्रभाव दिखाती है तो सोचने का अवसर भी नहीं मिलता है. फिर भी राज्य की जनता ने कोरोना काल में अत्यंत संयम का परिचय दिया. इस दौरान अनेक पर्व आए. सभी धर्म के नागरिको के त्यौहार इस दौरान आने के बावजूद उन्होंने संयमपूर्वक भूमिका अपनाई. पर्व को सार्वजनिक रूप से न मनाते हुए घर में ही मनाया. जिसके कारण सामाजिक दूरी बनाए रखने में योग्य सहयोग मिला. विशेषकर बालक एवं वृध्दों ने भी संयम का परिचय दिया. निश्चित रूप से सभी के मिले जुले प्रयासों का ही परिणाम है कि अब कोरोना संकट पर काफी हद तक नियंत्रण पाया गया है. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि वर्तमान में शीतकाल रहने के कारण जनस्वास्थ्य पर इसका प्रभाव पड सकता है. शीतकाल में आमतौर पर सर्दी खांसी जैसी स्थितियां निर्माण होती है. ऐसे में योग्य सावधानी नहीं बरती गई तो निश्चित रूप से बीमारी अलग रूप धारण कर सकती है. इसलिए ये लोगों का दायित्व है कि वे स्वयं अनुशासित होकर बीमारी का मुकाबला करे. संक्रमण से बचाव के लिए कुछ महत्वपूर्ण सावधानिया बरतना जरूरी है. यदि हर कोई इन सावधानियों का ध्यान रखे तो निश्चित रूप से बीमारी से बचा जा सकता है. इन सावधानियों में मुख्य रूप से मास्क लगाना आवश्यक है. लेकिन पाया जा रहा है लोग अनलॉक प्रक्रिया के बाद से मास्क के प्रति उदासीन होने लगे है. यही कारण है कि संक्रमण को फैलने का अवसर मिल रहा है . मास्क वैसे भी सामान्य जीवन में आवश्यक है. इससे अनेक संक्रमणों को रोका जा सकता है. लेकिन इन दिनों मास्क के प्रति लापरवाही बरतनी आरंभ कर दी है. अनेक स्थानों पर व सार्वजनिक जगहो पर मास्क लगाए बिना अनेक लोग विचरण करते नजर आते है. यह किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है. क्योंकि मास्क ही संक्रमण रोकने में कारगर साबित हो सकता है. मुख्यमंत्री ने प्रांत के लोगों को मास्क अभी और 6 माह तक उपयोग में लाने की बात कही है. यह जरूरी भी है. लेकिन यह एक शोकांतिका है. कि जो मास्क सामान्य नागरिको के लिए बीमारी से बचाव का मुख्य आधार है. उसके प्रति उदासीनता बरती जा रही है. यह गलत है. मास्क यदि रहा तो लोगों में जीवाणुओें का संक्रमण कमजोर हो सकता है. इसलिए अति आवश्यक है जन सामान्य आनेवाले 6 माह तक मास्क का प्रयोग करे. हालाकि प्रशासन चाहे तो जुर्माने के माध्यम से लोगों को मास्क के लिए बाध्य कर सकता है. लेकिन जन सामान्य यदि सावधानी बरतता है तो यह प्रशासन के लिए व सामान्य व्यक्तियों के लिए भी उपयोगी साबित हो सकता है.
कुल मिलाकर मुख्यमंत्री द्बारा यह स्पष्ट कर दिया गया है कि राज्य सरकार कोरोना के संक्रमण को टालने के लिए हर स्तर पर प्रयत्नशील है. इसके लिए जरूरी है कि जन सामान्य का भी उन्हें साथ मिले. यदि सरकार एवं नागरिको में समन्वय रहता है तो भविष्य में इस बीमारी के संकट से पूरी तरह निजात पाया जा सकता है. नागरिको को अब स्वयं स्फूर्त होकर अनुशासन का पालन करना होगा.

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