संपादकीय

आसमानी आफत

देश के अनेक हिस्सो में बाढ़ के कारण जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. वैसे भी विगत ४ माह से कोरोना संक्रमण के कारण जनजीवन पर बुरा असर हुआ ही है. अनेक के रोजगार समाप्त हो गये तथा करोड़ों लोगों पर भूखमरी की नौबत आ गई है. अब थोड़ा संभलने का अवसर मिल रहा था कि आसमानी आफत ने हर किसी को परेशान कर दिया है. देश के अधिकांश प्रांतों में बाढ़ की हालत अत्यंत बुरी है. परिणाम स्वरूप अनेक शहरों में जल जमाव के कारण सड़के पूरी तरह पानी में तब्दील है. कई लोग छतों पर चढ़कर अपनी जान बचा रहे है. जबकि उनके घर का सारा अनाज व जीवनावश्यक साहित्य बाढ़ की चपेट में नष्ट हो गया है, ऐसे में वे किसका आधार ले. निश्चित रूप से कोरोना त्रासदी के कारण हर कोई हतबल हो गया है. लॉकडाऊन में व्यापार व्यवसाय से सभी प्रभावित हुए है, ऐसे में जो उम्मीद थी कि शीघ्र ही स्थिति सामान्य हो जायेगी. लेकिन आज भी स्थिति भयावह बनी हुई हैे. ऐसे में बरसात का आगमन लोगों के मन में खुशी तो पैदा कर गया. वर्तमान में रोजाना बरसात होने के कारण मौसमी बीमारियां भी सिर उठा सकती है, देश के अनेक हिस्सों में बाढ़ आने के कारण जनजीवन पर जो असर हो रहा है वह लंबे समय तक कायम रह सकता है. बाढ़ की स्थिति अभी भी तीव्र बनी हुई है. गुजरात, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र सहित अनेक राज्य में बाढ़ का प्रकोप जारी है. परिणाम स्वरूप आवागमन के साधन भी प्रभावित हो रहे है.
देश में हर वर्ष बाढ़ का खतरा रहता है. लेकिन इसे रोकने के लिए स्थायी उपाय नहीं किए गये है. हर वर्ष पानी का बहाव व्यवस्थित रहे इसलिए अनेक मार्ग बनाए जाते है. लेकिन इस वर्ष बाढ़ का प्रकोप तीव्र है. प्रशासन की ओर से सभी जरूरतमंदों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया है. बाढ़ पीडि़तों की व्यथा भी अपने आपमे में जटिलता लिए हुए है. बरसात थमने व खुद के गांव में पानी समाप्त होने की स्थिति में जब ग्रामवासी अपने गांव में जाकर देखेंगे तो उन्हें केवल तबाही का मंजर नजर आयेगा, ऐसे में सभी बाढ़ पीडि़तों को सहायता देने के लिए सरकार को आगे आना होगा. जिन लोगों का सर्वस्व बाढ़ के कारण नष्ट हो गया है उन्हें विशेषकर सहायता दी जानी चाहिए. कुछ वर्षो पूर्व तक बाढ़ पीडि़तों के लिए नागरिको द्वारा धनराशि जमा कर पीडि़तों की सहायतार्थ भेज दिया जाता था. इस वर्ष कोरोना विषाणुुओं का संक्रमण रहने से हर कोई विशेषकर राज्य की जनता कोरोना के सिवाय अन्य किसी विषय पर कोई चर्चा नही है. ऐसे में अनेक समस्याएं हाशिये पर आ गई है. बरसात के लगातार जारी रहने से अन्य बीमारियों का भी खतरा बढ़ सकता है. स्वास्थ्य विभाग ने भी जताया है कि बरसात में वायरल फीवर का संक्रमण हो सकता है. इसलिए नागरिक स्वयं अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहे. यदि नागरिकों की जागरूकता कायम रहती है तो बीमारियों को रोका जा सकता है. इसके लिए जरूरी है कि स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए जो मापदंड तय किए गये है उनका उपयोग होना चाहिए.
हर वर्ष बाढ़ के कारण तबाही को रोकने के लिए सरकार को चाहिए कि वे ग्रामों में सुरक्षा दीवार,नाला ट्रेनिंग जैसे कार्यो को भी गति दी जानी चाहिए. कोई स्थायी स्वरूप की रूपरेखा तय होना आवश्यक हैै. नदी नालों के तट पर रहनेवालों की वैकल्पिक व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि बार-बार वे बाढ़ की चपेट में न आए. पानी की निकासी का योग्य प्रबंध यदि हो तो व बाढ़ की समस्या से निजात दिला सकता है. अनेक शहरों में एक बरसात में ही जल जमाव हो जाता है. यदि वहां पर पानी निकासी के मार्ग हो तो इस समस्या से बचा जा सकता है. कुल मिलाकर बाढ़ की समस्या यह हर वर्ष उभरनेवाली समस्या है. जिसे देखते हुए जरूरी है कि भविष्य में लोगों को बाढ़ से बचाने के लिए क्या उपाय योजना हो सकती है. इस बात पर चिंतन किया जाना चाहिए. हर वर्ष बाढ़ की समस्या व बाढ़ पीडि़तों की व्यथा जानने के लिए जनप्रतिनिधियों का तांता लग जाता था. लेकिन इस बार किसी भी बाढग्रस्त क्षेत्र में नेताओं की ओर से कोई कदम नहीं उठाए गये है. हर राज्य बाढ़ से प्रभावित होने के कारण केन्द्र सरकार को चाहिए कि वे बाढ़ पीडि़तों की सहायता के लिए संबंधित राज्यों से रिपोर्ट मांगे व सहायता के लिए अपने कदम बढ़ाए.
कुल मिलाकर बाढ़ की समस्या से हर वर्ष यदि जुझना पड़ता है तो उसका स्थायी हल खोजा जाना चाहिए. कुछ वर्षो पूर्व इस बारे में राजकीय स्तर पर चर्चा भी हुई थी. सभी नदियों को जोडऩे की परियोजना पर भी विचार विमर्श किया गया था. लेकिन ठोस कदम अब तक नहीं उठाया गया है. सरकार को चाहिए की बाढ़ की व्यापक समीक्षा करे व हर वर्ष उभरनेवाली समस्या को दूर करने के लिए योग्य प्रयास किए जाए. अन्यथा हर वर्ष लोगों को बाढ़ से न केवल जुझना पडेगा. बल्कि तबाही का भी शिकार होना पड़ेगा.

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