संपादकीय

छिड़काव का योग्य निर्णय

कोरोना के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए अमरावती महानगरपालिका के क्षेत्र में तीन दिन निर्जंतुकीकरण अभियान तथा दो दिन धुआं करने का निर्णय लिया गया है. इससे निश्चित रूप से कोरोना के बढ़ते संक्रमण पर रोक लग सकती है. आरंभ से ही नागरिको का मानना रहा है कि कोरोना संक्रमण जब से आरंभ हुआ तब से ही यदि इस तरह का छिड़काव किया जाता तो यह नौबत निर्माण नहीं होती. लोगों द्वारा आरंभ से ही मांग की जा रही है कि शहर की सभी बस्तियों ने सैनिटायजर का छिड़काव हो. इससे विषाणुओं के संक्रमण पर रोक लग सकती है. लेकिन पाया गया कि प्रशासन हर बार नागरिको पर यह दोष लगा रहा था. प्रशासन के अनुसार नागरिक मास्क व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे है. जिसके कारण यह बीमारी फैल रही है. कहीं न कहीं प्रशासन में भी कुछ कमियां हुई है. सैनिटायजर के छ़िडकाव का जो निर्णय अभी लिया गया है वह विगत कुछ माह पूर्व लिया जाता तो संभवत: बीमारी का संक्रमण कमजोर रहता. लेकिन बीते कुछ माह में संक्रमण को समाप्त करने की दिशा में कदम उठाने में प्रशासन की ओर से योग्य सावधानी नहीं बरती गई. जिसके कारण संक्रमितों की संख्या आज हजारों तक पहुंच गई है. इसलिए जरूरी है बाहरी संक्रमण को रोकने के लिए इस तरह का छिड़काव किया जाना चाहिए.
संक्रमण के दौरान एक बात और भी प्रखरता से सामने आ रही है कि नागरिको द्वारा इस बीमारी को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है. नागरिको को बार-बार आगाह किया गया है कि लोग बीमारी से बचाव के लिए मास्क का उपयोग करे. सोशल डिस्टेसिंग बनाए रखे. लेकिन लोगों द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया गया जिससे बीमारी का संक्रमण जो पहले सैकड़ा तक सीमित था. लेकिन अब हजार के ऊपर पहुंच चुका है. संक्रमण के लिए प्राणवायु का होना भी अति आवश्यक है. प्राणवायु के लिए हर वर्ष पर्यावरण दिवस के अवसर पर हजारों वृक्ष रोपित करने संबंधी अभियान छेड़ा गया. विगत वर्ष कोरोना संक्रमण रहने के कारण पर्यावरण पर ध्यान नहीं दिया गया. यही कारण है कि आज पूरे वातावरण में प्राणवायु का अभाव पाया जा रहा है. पर्याप्त मात्रा में प्राणवायु उपलब्ध न रहने के कारण कई मरीजों अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है. पूरे देश में ऑक्सीजन की कमी की समस्या कायम हो गई है. इस समस्या से निजात पाने के लिए स्वयं को प्रयत्न करने होगे. कोरोना संक्रमण के कारण सामाजिक कार्यो का ढांचा प्रभावित हुआ है. पहले लोगों द्वारा पहली बरसात आते ही हरभरे पौधे रोपित किए जाते थे. पूरी बरसात तक यह सिलसिला जारी रहता था. लेकिन बीते कुछ वर्षो में आम नागरिक पर्यावरण के प्रति उदासीन हो गया. यही कारण है कि अनेक शहर प्रदूषण से ग्रस्त हुए है तथा वहां पर मरीजों की संख्या भी बढ़ने लगी है. यहां तक के ऑक्सीजन न मिलने के कारण कई लोगों की जान भी जा रही है. इसलिए पर्यावरण को सर्वोच्च प्राथमिकता देना जरूरी हो गया है.
आनेवाले दिनों में पर्यावरण दिवस आ रहा है. बेशक कोरोना संक्रमण के कारण सामूहिक रूप से पौधारेापण नहीं किया जा सकता है. लेकिन हर व्यक्ति स्वयं संकल्प लेकर न केवल पौधा रोपित कर सकता है. यदि ऐसा भी किया जाता है तो पर्यावरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा. आज जिस ऑक्सीजन के लिए मारा मारी होती है. वह सहजतापूर्वक हल हो जाती है. प्राकृतिक हवा का मिलना भी आज के युग में अति आवश्यक है. इसके लिए पौधारोपण ही महत्वपूर्ण हो गया है. यदि नागरिक स्वयं संकल्प लेकर पर्यावरण का जतन करे तो काफी हद तक ऑक्सीजन की समस्या को दूर किया जा सकता है.
कुल मिलाकर कोरोना का संक्रमण जब चरम पर है तब प्रशासन ने छिड़काव का निर्णय लिया है. इस निर्णय पर प्रभावी रूप से अमल होना अति आवश्यक है. शहरवासियों द्वारा कोरोना से बचाव के लिए विगत कई दिनों से सैनिटायजर किए जाने की मांग की जा रही थी. लोगों का मानना था कि यदि निर्जुंतुकीकरण कार्य प्रभावी ढ़ग से किया जाता तो हर किसी को फायदा मिल सकता था तथा कोरोना का जो तांडव जारी है उस पर रोक लग सकती है. इस हालत में जरूरी है कि नागरिक स्वयं पर्यावरण पर ध्यान दें तथा प्रशासन छिड़काव आदि के जरिए जंतुओं को नष्ट करें. इससे ही भविष्य में बीमारी को रोका जा सकता है.

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