संपादकीय

रापनि की व्यथा

राज्य परिवहन निगम यानी एसटी महामंडल की ओर से बसों को तो आरंभ कर दिया गया है. लेकिन अब तक यात्रियों के अभाव में हुआ लॉकडाऊन में बस डिपो बंद रहने के कारण एसटी महामंडल आर्थिक संकट में आ गया है.विशेषकर कुछ खास मौको पर महामंडल को जो आय होती थी वह इस बार नहीं हो पायी. हर वर्ष पंढरपुर यात्रा के लिए एसटी महामंडल की ओर से स्पेशल गाडिय़ा चलाई जाती थी. जिसमें हजारों की संख्या में यात्री आते थे.परिणामस्वरूप राज्य परिवहन निगम को अतिरिक्त आय हो जाती थी. इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण राज्य परिवहन निगम के चक्के थमे रहे. इससे एसटी महामंडल को भारी घाटा उठाना पड़ा. हालांकि अब बसे आरंभ हो गई है. लेकिन नियमित आय जिस प्रमाण से होनी चाहिए वह नहीं हो पायी. सोशल डिस्टेसिंग की प्रक्रिया को मान्य करते हुए बसों में यात्रियों के बीच दूरियां रखी गई. अब सरकार ने फिर से बसों को आरंभ कर दिया है. लेकिन यह शुरूआत भले ही योग्य है. लेकिन जिस प्रमाण में आय होनी चाहिए वह नहीं हो पा रही हैे. इसलिए अति आवश्यक है कि राज्य परिवहन निगम की आय में इजाफा किया जाए. एसटी महामंडल की हालत इतनी प्रभावी नहीं है. आर्थिक संकट के कारण महामंडल के कर्मचारियों को तीन माह से वेतन नहीं मिल पाया हैे. यही कारण है कि राज्य परिवहन निगम ने कुछ बस स्थानको को गिरवी रख कर्मचारियों का वेतन करने का निर्णय लिया गया है.

एसटी महामंडल के पास अब केवल दो ही विकल्प शेष हैे. पहला विकल्प यह है कि सरकार से कर्ज लिया जाए. जबकि दूसरे विकल्प में राज्य परिवहन निगम की जमीन को गिरवी रखा जाए. पहला विकल्प इसलिए संभव नहीं है क्योंकि सरकार के पास इन दिनों आर्थिक संकट कायम है. जिसके कारण वे अब अनुदान नहीं दे सकते है. निश्चित रूप से ऐसी स्थिति में कर्मचारियों का मनोबल भी टूटेगा. राज्य परिवहन निगम को चाहिए कि वह कर्मचारियों का वेतन उपलब्ध कराए. आनेवाले दिनों में दिपावली का पर्व सामने है. इस पर्व को पूरे देश में उत्साहपूर्वक मनाया जाता है. जिसमें जमकर आतिशबाजी भी की जाती है. कर्मचारियों को इस बार यदि वेतन नहीं मिल पाया तो कर्मचारियों की मनोदशा पर असर हो सकता हैे. इसलिए जरूरी है कि सबसे पहले कर्मचारियों का वेतन दिया जाए. बेशक कुछ बसस्थानक गिरवी रखने का निर्णय रापनि ने ले लिया है. लेकिन यह कार्य इतना आसान भी नहीं है. इसके लिए जरूरी है कि राज्य परिवहन निगम की जो बसे चल रही है. उनमें ही भारी सुधार कर उसे लाभ की स्थिति में पहुंचाया जाए. तभी यात्रियों की सुविधाएं हो सकती है.

राज्य परिवहन निगम को नुकसान पहुंचाने के लिए कुछ अवैध वाहन चालको द्वारा भी कार्य किया जा रहा है. अनेक बसस्थानक से यात्रियों की चोरी हो रही है. निजी परिवहन करनेवाले बस डिपों में पहुंचकर वहां के यात्रियों को कुछ कम दरों में बसों में ले जाते है. इसके लिए यात्रियों की चोरी हो रही है उसे भी रोकना अनिवार्य है. अन्यथा वर्तमान में नुकसान में चल रही राज्य परिवहन निगम की बसों को घाटा बर्दाश्त करना पड़ सकता है. लॉकडाऊन से पूर्व कुछ नियमावली के तहत यात्रियों को खोजने आनेवाले अवैध वाहन चालको के खिलाफ कार्रवाई की जाती थी. लेकिन अभी इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गये है. इसके अलावा बसों में यात्रियों की संख्या बढ़ाने के लिए यात्रियों को योग्य सुविधाए भी उपलब्ध कराना जरूरी है. बस स्थानक पर प्रतीक्षालय में यात्रियों को बैठने के लिए पर्याप्त व्यवस्था आवश्यक है. अनेक बस स्थानको पर गंदगी का आलम रहता है. जिसके कारण यात्रियों को बैठने का योग्य साधन नहीं मिल पाता.परिणामस्वरूप वे तुरंत में निकलनेवाली निजी बसों में सवार होकर यात्रा पूर्ण करते है. इस दृष्टि से बसस्थानको पर आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराना जरूरी है तभी यात्री बसों की ओर आकर्षित होंगे. आनेवाले दिनों में अनेक पर्व सामने है. विशेषकर दिपावली का पर्व आ रहा है. इस समय यात्रियों की आवाजाई अधिक रहती है. जिसके चलते कई बार निजी ट्रॅव्हल्स कंपनियों द्वारा यात्रियों को अपनी बसों के माध्यम से सुविधाएं दी जाती है. रापनि के किराए से कम किराया निजी संचालको द्वारा वसूल किया जाता है. लेकिन ऐसी बसों में यात्रा मान्य नहीं है. परिणामस्वरूप यात्रियों का झुकाव रापनि की ओर ही रहता है. यदि राज्य परिवहन निगम अपनी बसों में बैठने की योग्य सुविधा रखे तो काफी लाभ मिल सकता है.

आज भी राज्य परिवहन निगम की अनेक बसे ऐसी है जो जर्जरता के चरम पर पहुंच गई है. इन बसों को बदला जाना चाहिए तथा उन्हें आकर्षक लुक देना चाहिए. कुल मिलाकर राज्य परिवहन निगम की बसों के पहिए निरंतर चलते रहे तो इसके लिए निगम के कर्मचारियों को योग्य सुविधा मिलनी चाहिए. कम से कम वेतन तो मिलना ही चाहिए. यदि समय पर वेतन नहीं दिया जाता है तो उनकी हालत अत्यंत दयनीय हो सकती है. इसके साथ ही राज्य परिवहन निगम बसों के प्रति यात्रियों का प्रेम पूर्ववत रहे. इसलिए प्रतिस्पर्धा के इस दौर में योग्य सुविधाए भी उपलब्ध कराना जरूरी है. निगम द्वारा कर्मचारियों के वेतन के लिए कुछ स्थानको को गिरवी रखने का निर्णय लिया गया है वह उचित है. क्योंकि कर्मियों को सुविधा रही तो वे निगम की उन्नति के लिए और सार्थक प्रयत्न कर सकते है.

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