अवैध साहुकारी के खिलाफ कडा निर्णय
राज्य के उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने अवैध साहुकारी के खिलाफ कडे कदम उठाने की बात कही है. बारामती की सहकारी बैंक के कार्यक्रम को संबोंधित करते हुए उन्होंने कहा कि अवैध साहुकारी मामले में यदि कोई पाया जाता है तो उसके खिलाफ कडी कार्रवाई होगी. या तो उसे तडी पार किया जायेगा या फिर उसके खिलाफ मोका अंर्तगत कार्रवाई की जायेगी. ऐसी हालत में निश्चित रूप से अवैध साहुकारी पर प्रतिबंध लगेगा. हालाकि सरकार ने इससे पूर्व ही अवैध साहुकारी को प्रतिबंधित करने के लिए कई कदम उठाए है. लेकिन कानून पर अमल न होने के कारण अवैध सहकारी का सिलसिला अभी भी जारी है. राज्य के अनेक स्थानों पर अवैध साहूकारी के मामले सामने आते रहे है. लेकिन उस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पायी. हालाकि अनेक स्थानों पर लोगों ने साहुकारी का सिलसिला जारी है. आमतौर पर व्यापार बढाने या अन्य जरूरत के कार्य निपटाने के लिए कककलोगो को कर्ज लेना पडता है. कर्ज लेने के बाद में उस पर जो मनमाना ब्याज वसूला जाता है उससे संबंधित व्यक्ति की हालात अत्यंत दयनीय हो जाती है. मूल राशि की अदायगी तो दूर की बात है. राशि का ब्याज अदा करते ही उसे अपने जीवन से हाथ धेा लेना पडता है.
बीते कुछ वर्षो में किसान आत्महत्याओं के अधिकांश मामलोें के लिए अवैध साहुकारी ही जिम्मेदार नजर आ रही थी. किसान अच्छी फसल के आस में बैठा था. लेकिन मौसम का साथ न मिलने के कारण उसकी फसल नष्ट हो गई . ऐसे में वह कर्ज अदा कर पाने में विफल रहता है. अलबत्ता कर्जदारों का तकाजा निरंतर जारी रहता है. इसके चलते राज्य में अनेक किसानों ने आत्महत्या की है. आत्महत्या का यह सिलसिला आज भी जारी है. लेकिन गतवर्ष की तुलना में इस वर्ष भी कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ है. फसलों को योग्य समर्थन मूल्य नहीं मिलने के कारण किसानों को योग्य आय नहीं मिल पायी है. परिणामस्वरूप किसानों की हालत दिनों दिन दयनीय होती जा रही है. उसका मेहनत का पैसा उसे योग्य रूप में न मिलने के कारण घर कैसे चलाए व कर्जदारों का कर्ज दिनों दिन बढता जात है. सरकार इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए अनेक कार्रवाई आरंभ की है. इसके चलते किसानों का समुपदेशन करने के अलावा उन्हें योग्य मूल्य देना आदि कार्य सरकार की ओर से जारी है. बावजूद इसके किसानों की हालत दयनीय रहने के कारण उन्हें साहुकारी कर्ज के कुचक्र में फंस जाना पडता है. इस दल दल में फंसने के बाद उसे कोई मार्ग नहीं सूझता. परिणामस्वरूप वह आत्मघाती कदम उठा लेेता है.
वर्तमान में जारी किसान आंदोलन भी इसी परिप्रेक्ष्य में है. किसानों की मांग है कि उन्हें योग्य समर्थन मूल्य यदि मिलता रहा तो उन्हें आत्महत्या करने की नौबत नहीं आयेगी. लेकिन पाया जाता है कि सरकार की ओर से नुकसान भरपाई, अतिवृष्टि, ओलावृष्टि आदि मामलो में धनराशि दी जाती है.
इन सब कारणों किसानों की हालत बिगडने लगी है. इसक े चलते देशभर के किसान अपनी समस्याएं लेकर जी रहे है. अब उन्होंने मजबूरी का मुकाबला करने का निर्णय लिया है. देशभर के किसान अपनी अनेक मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे है. दो माह बीतने के बाद भी उनका आंदोलन जारी है.े इससे सरकार स्वयं चिंता में आ गई है. जरूरी है कि किसानों को कर्जमुक्त किया जाए यह कर्ज चाहे सरकार की ओर से हो या साहुकार की ओर से. उसे यदि एक बार पूरी तरह मुक्त कर दिया जाता है तो निश्चित रूप से वे अपनी कृषि पर ध्यान देंगे. अवैध साहुकारी के शिकार केवल किसान ही नहीं होते बल्कि विद्यार्थी, खेतीहर मजदूर व सामान्य नागरिक भी इसका शिकार हो जाता है. इसके चलते अवैध साहुकारी को पूरी तरह प्रतिबंध लगाना आवश्यक है. खासकर गरीब जनता को सुगमतापूर्वक कर्ज उपलब्ध हो, इसके लिए सरकार को बैंकों में योग्य व्यवस्था करनी चाहिए ताकि उन्हें कम दरों पर राशि उपलब्ध हो जाए. यदि सरकार की ओर से योग्य कदम उठाए जाते है तो निश्चित रूप से अवैध साहूकारी का सिलसिला खत्म हो सकता है. सरकार ने भले ही इस मुद्दे को गंभीरतापूर्वक लिया है. जन सामान्य को भी सावधानी बरतनी चाहिए कि वह अवैध साहूकारी के कुचक्र में न फंसे.