संपादकीय

सेवाव्रत का साकार स्वरूप खो गया

देश में अनेक तीर्थस्थल अपनी अलग-अलग विशेषताओं के कारण विख्यात है. यहां पर आध्यात्मिक द़ृष्टि से अनेक मान्यताए है. लेकिन तीर्थस्थल किस तरह निष्काम सेवाभाव का केन्द्र हो सकता है. यह बात विदर्भ के बुलढाणा जिला स्थित शेगांव के गजानन महाराज संस्थान में ही प्रत्यक्ष रूप से देखने मिलती है. इस संस्थान के व्यवस्थापकीय विश्वस्त कर्मयोगी शिवशंकर भाऊ पाटिल ने अपनी सेवाभाव के कारण इस संस्थान की गरिमा को और भी गौरवान्वित कर दिया था. गजानन महाराज संस्थान की सेवा का उल्लेख हर नागरिक अन्य तीर्थस्थलों पर करता था. क्योंकि जिस तरह का सेवाभाव गजानन महाराज मंदिर में भक्तों को मिलता रहा. उसकी प्रशंसा किए बिना कोई भी भक्त नहीं रह सकता था. मंदिर में प्रवेश करते ही सेवाभाव के दर्शन हो जाते थे. यही वजह है कि आज देशभर में अनेक तीर्थस्थलों की अलग अलग महिमाए है पर जो सेवाभाव का उत्कर्ष गजानन महाराज देवस्थान में हासिल किया है. वह संभवत: अन्य कोई तीर्थस्थल हासिल नहीं कर पाया है. यही कारण है कि दूसरे तीर्थस्थलों पर जाने के बाद वहां पर व्याप्त अव्यवस्था को देखते हुए गजानन महाराज संस्थान की बरबस याद आती है तथा इस तीर्थस्थल से गया कोई व्यक्ति दूसरे तीर्थस्थलों पर दावे के साथ वहां की गरिमा का बखान करता है.
मंदिर संस्थान को इस ऊंचाई तक पहुंचाने में कर्मयोगी शिवशंकरभाऊ पाटिल का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है. वे जब कभी भी संस्थान में आते थे. अपनी सेवाभाव से हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देते थे. उनके मार्गदर्शन में शेगांव संस्थान में उन्होंने अपनी सेवाए प्रदान की तथा उन्होंने अनेक समाज उपयोगी उपक्रम आरंभ किए. नियोजनबध्द कार्यप्रणाली व अनुशासन के लिए उन्हें जाना जाता था. वे शेगांव नगरपालिका के अध्यक्ष भी रहे. उन्होंने शहर के विकास का प्रारूप सरकार को सौंपा. जिसे मंजूर भी किया गया. विगत कुछ दिनों से उनका स्वास्थ्य उचित नहीं था. किंतु उन्होने स्पष्ट कहा था कि उन्हें किसी अस्पताल मेें भर्ती न किया जाए. उनके कहे अनुसार घर पर ही उनका उपचार किया गया. डॉ. हरिश सराफ के मार्गदर्शन में उनका उपचार जारी था. मेडिकल सेटअप सहित उन पर उपचार किया जा रहा था. उन्होेने जीवनभर आयुर्वेदिक उपचार को प्रधानता दी है.
आज देश में अनेक तीर्थस्थलों पर भक्तों से किस तरह पैसा ऐंठा जाए इसकी होड़ मची रहती है. मध्यप्रदेश के एक तीर्थस्थल पर वहां के प्रसाद विके्रताओं द्वारा लोगों को यह कहकर गुमराह किया जाता है कि उनके रूकने की व्यवस्था नि:शुल्क की जायेगी. साथ ही पार्किंग के लिए भी योग्य जगह दी जायेगी. इसके बदले में केवल प्रसाद फूल आदि उनसे खरीदना जरूरी है. लेकिन जब सुबह भक्त जाने को निकलते है तो प्रसाद फूल की मनमानी दर उन्हें चुकानी पडती है. पूरे तीर्थ क्षेत्र में भक्त निवास, पार्किंग व्यवस्था आदि का कोई भी दिशादर्शक फलक नहीं रहता. यहां तक के मंदिर की पार्किंग स्थल पर वाहन खडा करने के लिए जगह होने के बाद भी द्वार नहीं खोला जाता है. क्योंकि वहां के द्वारपालों का प्रसाद विके्रताओं के साथ लेन देने का व्यवहार रहता है. अभिप्राय यह जहां आज देश के अनेक तीर्थस्थलों पर भक्तों से पैसा ऐंठने का जो उपक्रम जारी है. वहां पर शेगांव के गजानन महाराज संस्थान में सेवाव्रत का एक अलग उदाहरण प्रस्तुत किया है. इसका सारा श्रेय शिवशंकरभाऊ पाटिल को ही जाता है. निश्चित रूप से वह एक महान कर्मयोगी थे. उनका निधन होना सेवाभाव की एक अपूरणीय क्षति है. उनके आदर्श हर तीर्थस्थल के प्रबंधन को लेना चाहिए. शेगांव में मंदिर दर्शन के साथ साथ आनंद सागर, भक्त निवास जैसे उपक्रम भी उन्होंने उपलब्ध कराए है. सीमित राशि में पवित्रता के साथ लोगों को रूकने की व्यवस्था उन्होंने की है जो आनेवाले दिनों में भी भक्तों की सेवा में समर्पित रहेगी. उनके निधन से न केवल शेगांव बल्कि समूचा महाराष्ट्र दु:खी है. उन्होंने तीर्थक्षेत्र को किस तरह गरिमामय बनाया जा सकता है. इसका प्रत्यक्ष कार्य किया है.
वर्तमान में आदर्श की बातें अनेक जगह होती है लेकिन उन आदर्शो को आचरण में नहीं लाया जाता है. लेकिन शिवशंकर भाऊ पाटिल ने पहले आचरण में अपने कार्य रखे. निश्चित रूप से हर किसी के लिए उनके कार्य प्रेरणादायी साबित हुए है. यही कारण है कि मंदिर के सेवाधारियों का व्यवहार भी हर किसी को प्रभावित करता रहा है. यहां तक की हर कोई सेवा के लिए तत्पर होना चाहता है. अनेक लोगों के नाम सेवा के लिए प्रतीक्षा सूची में महिनों पूर्व दर्ज रहते है. ऐसा अपनत्व भरा माहौल केवल शेगांव में ही देखने मिलता है. इस तरह के महान कर्मयोगी का सबके बीच से चला जाना हर किसी के लिए पीडादायी है. यही वजह है कि आज राज्य के मुख्यमंंत्री, नेता प्रतिपक्ष के अलावा अमरावती जिले के पालकमंत्री सहित अनेक ने उन्हें भावपूर्ण श्रध्दांजलि अर्पित की है. सेवाधर्म के प्रति समर्पित उनके कार्य सदियों तक याद किए जायेगे. इतना ही नहीं उनके यह कार्य हर किसी के लिए मार्गदर्शक साबित होगे. हर कोई उनके कार्यो से प्रेरणा ले सकता है. दैनिक अमरावती मंडल की ओर से भी ऐसे महान कर्मयोगी को भावपूर्ण श्रध्दांजलि.

Related Articles

Back to top button