संपादकीय

अस्वस्थ स्वास्थ्य सेवा

राज्य में स्वास्थ्य विभाग के करीब २९ हजार पद रिक्त है. जबकि देश में इन दिनों वैश्विक स्तर की महामारी जारी है. पदों के रिक्त रहने के कारण जन सामान्य को योग्य स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल रही है, ऐसी हालत में बीमारी का प्रकोप दिनों दिन बढ़ रहा है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग से हर किसी का नाता आ रहा है. लेकिन अपर्याप्त कर्मचारी वर्ग रहने के कारण लोगों को योग्य सेवा नहीं मिल पा रही है. जिससे बीते कुछ दिनों से मृत्यु दर में भी बढोतरी हुई है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग को यदि जिम्मेदार माना जाना चाहिए. मार्च माह से कोरोना का संक्रमण देश के विभिन्न क्षेत्र में होने लगा था. उस समय मृत्यु दर सामान्य थी. लेकिन जैसे-जैसे महंगाई का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. वैसे-वैसे मृत्युदर में भी बढ़ोतरी हुई है.

राज्य सरकार का दावा है कि वह हर मरीज की सुरक्षा पर ध्यान दे रही है.लेकिन जब पर्याप्त कर्मचारी ही नहीं होंगे तो इसका क्या उपयोग होगा. यही कारण है कि कोरोना संक्रमण काल में कर्मचारियों की कमी रहने से उपचार व्यवस्था में काफी कठिनाईया निर्माण हो रही है.राज्य में कुल २९ हजार से अधिक पद रिक्त है. स्वास्थ्य सेवा अंतर्गत आनेवाले राष्ट्रीय आरोग्य अभियान में १९ हजार ७५२ पदों पर तत्काल नियुक्ति की जाए. लेकिन सरकार के पास इतना राजस्व नहीं है कि वह नये लोगों की नियुक्तिया कर सके. इससे स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी भारी असर दिखाई देता है. वर्तमान में कोरोना महामारी का दौर जारी है. ऐसे में संबंधित सरकार को चाहिए कि वह योग्य व्यवस्था करे. राज्य में विशेषकर अमरावती जिले में स्वास्थ्य कर्मियों की कमी हर दम कायम रही है. लेकिन वर्तमान में जो दौर जारी है उसे देखते हुए अति आवश्यक है कि एक दूसरे से दूरी बनाकर रखी जाए.

सभी स्वास्थ्य कर्मियों को आवश्यक सुविधाए उपलब्ध कराई जाए. स्वास्थ्य व्यवस्था अंतर्गत १२ हजार ५७४ पदों पर मार्च माह में ही नियुक्ति के निर्देश दिए गये थे. लेकिन इस ओर प्रशासन की ओर से ध्यान नहीं दिया गया. परिणामस्वरूप हर अस्पतालों में कोविड-१९ के मरीज पाए गए. सरकारी अस्पतालों में सुविधा के नाम पर कुछ नहीं मिलता. आज कोरोना संक्रमण का जो दौर जारी है उसमें केवल कर्मचारियों की नियुक्ति ही पर्याप्त नहीं. उन लोगों की भी नियुक्ति होना चाहिए . राष्ट्रीय आरोग्य अभियान अंतर्गत १९ हजार ७५२ पद मंजूर किए गये थे. लेकिन ५ माह बीतने के बाद भी इन पदों की नियुक्तिया नहीं हुई है. यही कारण है कि लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं से भी वंचित रहना पड़ रहा है. राज्य में २ लाख ८० हजार से अधिक लोगों का उपचार जारी है. ऐसे में कोरोना के रूप में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. राज्य के सभी संभागों में १२ हजार से अधिक पद रिक्त है. स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत ५६ हजार ५६० नियमित पद मंजूर किए गये थे. जिसमें १७ हजार ३३७ पद खाली है. ५ माह पूर्व ही इन पदों पर नियुक्तियों का आदेश जारी किया गया था. लेकिन अब तक पदों पर नियुक्तिया नहीं हुई है.

स्वास्थ्य सेवा से सामान्य इंसान का निकट का संबंध है. सरकारी अस्पतालों में आम तौर पर ग्रामीण क्षेत्र व पिछड़े क्षेत्र के लोग उपचार के लिए आते है. लेकिन कई बार उन्हें संबंधित अधिकारी न मिलने के कारण परेशान होना पड़ता है. इसलिए सबसे पहले जरूरी है कि पदों की नियुक्ति की जाए. कोरोना का संक्रमण भले ही अभी धीमा हो गया है लेकिन पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है. इस हालत में भविष्य में कभी भी स्वास्थ्य कर्मियों की आवश्यकता महसूस हो सकती है. लेकिन पुर्व नियोजन नहीं होने के कारण इन पदों पर तत्काल नियुक्तियां संभव नहीं हो पायेगी. अत: जरूरी है कि संबंधित प्रशासन चरणबध्द तरीके से पदों पर नियुक्तियां करे.
वर्तमान में जिस तरह स्वास्थ्य सेवा में पर्याप्त कर्मचारी नहीं रहने के कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा है. उसे देखते हुए जरूरी है कि इस विभाग में बड़ी संख्या में कर्मचारियों की नियुक्ति की जानी चाहिए. कोरोना का संक्रमण जारी रहने के साथ ही समय-समय पर डेंगू मलेरिया जैसी बीमारियां भी अपना सिर उठाती है. अनेक जिले के पर्वतीय क्षेत्रों में कुपोषण की स्थिति हर वर्ष निर्माण होती है. इस वर्ष भी मेलघाट के पर्वतीय क्षेत्रों में कुपोषण का प्रभाव देखा गया. यह सब इसलिए हो रहा है कि योग्य प्रमाण में कर्मचारी की नियुक्तिया नहीं की गई है.

अपर्याप्त मनुष्य बल रहने से सभी मरीजों की सेवा नहीं हो पाती. कुछ न कुछ कमियां स्वास्थ्य सेवा में रह जाती है. जिसके कारण कई बार लोगों को अपनी जान से भी हाथ धोना पड़ता है. बीते कुछ वर्षो में अनेक अस्पतालों में समय पर उपचार न मिलने के कारण कई मरीजों की मृत्यु हो गई है. इसलिए जरूरी है कि स्वास्थ्य विभाग सर्वप्रथम मनुष्य बल की जो कमी है उसे पूरा करे. पाया गया है कि स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टर परिचारिका व तंत्रज्ञ सहित अनेक पद रिक्त हैे. पदों की रिक्तता के कारण स्वास्थ्य सेवा में कुछ न कुछ कमी रह जाती है. जिसका खामियाजा सामान्य मरीजों को भुगतना पड़ता है. इन स्थितियों से बचने के लिए जरूरी है कि सबसे पहले मनुष्य बल की नियुक्ति की जाए बाद में योग्य संसाधन भी उपलब्ध कराए जाए. ताकि लोगों को पर्याप्त स्वास्थ्य लाभ मिल सके.

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