संपादकीय

तत्काल कार्रवाई जरूरी

गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा के मामले में पुलिस ने अब तक 22 लोगों के खिलाफ एफआईआर दाखिल की है. जिसके चलते संबंधितों पर कार्रवाई होना निश्चित है. लेकिन कार्रवाई में अब देरी नहीं होनी चाहिए. क्योंकि इस घटना के तमाम वीडियों, सीसीटीवी फुटेज सरकार के पास है. जिसके आधार पर आरोपियों को गिरफ्तार किया जा सकता है तथा योग्य कार्रवाई की जा सकती है. गणतंत्र दिवस पर लालकिले में हिंसा की जो घटनाए हुई है. उसने पूरे देश को शर्मसार कर दिया है. गणतंत्र दिवस का अपना महत्व है. राष्ट्रीय पर्व होने के कारण इस दिन समूचा देश हर्षोल्लास में खोया हुआ था. उसे किसान आंदोलन के बारे में जानकारी तो थी, लेकिन यह आंदोलन इस तरह गलत स्वरूप प्राप्त करेगा.यह उन्होंने सोचा ही नहीं था. किसानों की मांगों के प्रति सरकार ने नरम रवैया अपनाया था. यहां तक की किसानों को ट्रैक्टर रॅली की अनुमति भी दी थी. लेकिन इस अनुमति का दुरूपयोग करते हुए किसान के नाम पर कुछ शरारती तत्वों ने लालकिला पर न केवल हंगामा किया बल्कि पुलिस कर्मियों के साथ मारपीट भी की. जिसके कारण अनेक पुलिस जवान किले के पास बनी खाई में कूद पडे. करीब 30 फूट गहरी इस खाई में गिरने के कारण अनेक पुलिस जवानों को गहरी चोट भी आयी है. दिल्ली में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए तथा संयम का पालन करनेवाले पुलिस कर्मियों से आज गृहमंत्री अमित शहा ने भेट की. उनके स्वास्थ्य के विषय में जानकारी ली. सरकार की ओर से इस आंदोलन के दौरान किसानों से कई बार ट्रेक्टर रैली न निकालने की बात कहीं गई. लेकिन किसानों के जिद के आगे आखिर उन्हें अनुमति दी गई. निश्चित रूप से सरकार ने किसानों को अपनी बात रखने का अवसर दिया. लेकिन किसान अपनी जिद पर अडे रहे. जिसके चलते सरकार को ट्रॅक्टर रैली की अनुमति देनी पडी यही कारण रहा है कि यह आंदोलन हिंसक हो गया.
इस घटना को लेकर देशभर में निंदा की जा रही है. साथ ही दोषियों पर कडी कार्रवाई की मांग भी की जा रही है. सरकार को भी चाहिए कि अब वह तेजी से पूरे मामले की जांच करे. सीसीटीवी फुटेज में देखने के बाद अपने आप स्पष्ट हो जायेगा कि इस आंदोलन में शामिल हुए शरारती तत्व कौन से थे. क्या वे सचमुच किसान थे या कहीं बाहर से देश में अराजकता मचाने के लिए आए थे. इस हिंसक मोड का मतबल चाहे जो भी हो हिंसा होना अपने आप में शर्मनाक है. कोई भी देश रहे अपने राष्ट्रीय पर्व के अवसर पर इस तरह की घटनाए स्वीकार नहीं करेगा. लेकिन गणतंत्र दिवस के अवसर पर कुछ किसानों ने देश की गरिमा को आहत पहुंचाई है . इसलिए पुलिस प्रशासन को चाहिए कि वे सबकी शिनाख्त करे व आंदोलन के नाम पर उत्पात मचानेवाले के खिलाफ कडी से कडी कार्रवाई की जानी चाहिए.
राष्ट्रीय पर्व पर इस तरह की घटना होना अत्यंत अनुचित है. इस दिन राष्ट्रभक्ति से जुडी सभी बातों पर ध्यान रखना जरूरी है. लालकिले में तथाकथित किसानों का घुस जाना तथा वहां हंगामा मचाना किसी भी दृष्टि से माफ नहीं किया जा सकता. इसके लिए सरकार को चाहिए कि वह वीडियो, सीसीटीवी फुटेज के आधार पर दोषियो की शिनाख्त करे व योग्य कार्रवाई करे. यदि ऐसा किया जाता है तो उन लोगों को सबक मिलेगा. जिन्होंने इस तरह हंगामा मचाकर देश को शर्मसार किया है. किसी भी कार्रवाई का समय पर होना अति आवश्यक है. क्योंकि र्कारवाई में देरी होती रही तो असामाजिक तत्व अपने बचाव में अनेक बातों को ला सकते है. इसलिए इस मामले में तत्काल कार्रवाई जरूरी है.
हालाकि किसान आंदोलन के बदलते स्वरूप को देखकर अनेक किसान संगठनों ने आंदोलन से हटने का निर्णय लिया है. कुछ संगठन आंदोलन से बाहर भी हो गये है . यह सच है कि किसानों के हित का आंदोलन समझकर अनेक किसान संगठन इसमें शामिल हो गये थे. लेकिन गणतंत्र दिवस के अवसर पर आंदोलन का जो चेहरा सामने आया वह हर किसी को आहत कर गया. यही वजह है कि किसान संगठनों में भी फूट नजर आने लगी है. जैसे-जैसे इस मामले की जांच होगी अनेक तथ्य सामने आयेंगे. जिससे स्पष्ट हो जायेगा कि यह आंदोलन किसानों के हित में था या देशवासियों के हित में.

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