नशे का कुचक्र
फिल्म अभिनेता सुशांतसिंग राजपूत की संदिग्ध मृत्यु को लेकर आरंभ हुई सीबीआई जांच की तह में अब नशीले पदार्थो के रेकेट के बारे में भी नई-नई जानकारियां मिल रही है. खासकर नशीले पदार्थ के विरोधी दल (एनसीबी) दल ने इसकी गंभीरतापूर्वक जांच आरंभ कर दी है. अनेक बातें सामने आने लगी है. यह भी माना जा रहा है कि इस नशे के कारोबार में बड़ी-बड़ी हस्तियां व सफेदपोश शामिल है. जांच में इन सभी के नाम का खुलासा भी होगा. हालांकि नशे का कुचक्र वर्षो से जारी है. यह एक तरीके से युवाशक्ति के खिलाफ छेड़ा गया अघोषित युध्द है. भारत में युवाओं की संख्या भरपूर है. जिसके चलते यदि भारत में एक युवा राष्ट्र कहा जाय तो अतिश्योक्ति नहीं होगी.जिस जगह युवा शक्ति सक्रिय हो उस क्षेत्र मेें परिवर्तन आना स्वाभाविक है. यही वजह है कि वर्षो से कुछ असमाजिक तत्व नशे की कुचक्र को व्यापक रूप देकर युवाओं सहित अनेक लोगों को अपनी चपेट में लेरहे है. नशा एक ऐसी स्थिति में पहुंचा देता है जहां कोई भी व्यक्ति सक्रिय नहीं रहता. न तो उसके पास कार्यक्षमता रहती है और न ही वह मानसिक रूप से कुछ सोच पाने में असमर्थ रहता है, ऐसी हालत में यदि नशे का कुचक्र का स्वरूप विस्तारित होता रहा तो देश की एक पीढ़ी ही नष्ट हो सकती है. इसलिए इस पर नियंत्रण अति आवश्यक था. यह दुर्भाग्य की बात है कि वर्षो से यह कुचक्र जारी रहने के बाद भी इस पर कोई ठोस कार्रवाई नही की गई. यही कारण है कि नशे का यह कुचक्र आज शहरों से लेकर कस्बाई क्षेत्रों तक पहुंच गया है. इस नशे के कारोबार से में कितने लोग जुड़े है. इसका खुलासा होना अति आवश्यक है. सुशांतसिंग राजपूत की मृत्यु के बाद सीबीआई द्वारा पूरे मामले की जांच की जा रही है. जांच के दौरान नशीली वस्तुओं का मामला उभरकर सामने आया है जिससे सारी जांच अब नशे के कारोबार में जुड़े लोगों के बीच आकर रूक गई है. व्यापक रूप से छानबीन जारी है. इस रेकेट से बालीवुड की कितनी हस्तियां जुड़ी हुई है इस बात का पता लगाया जा रहा है.
नशा यह समूची पीढ़ी को नष्ट करने में सक्षम है. इसकी भयावहता को अनेक राज्यों में महसूस किया तथा नशाखोरी के खिलाफ अनेक कानून बनाए गये है. कुछ देशों में तो नशे के खिलाफ की जानेवाली कार्रवाईयों में फांसी की सजा तक का प्रावधान है और होना भी चाहिए. क्योंकि नशे का शिकार व्यक्ति नशे के दलदल से बाहर निकल नहीं पाता. जिसके चलते उसकी नशाखोरी दिनों दिन बढती जाती है. जिसके घातक परिणाम न केवल नशा पानेवाले व्यक्ति को भुगतना पड़ता है बल्कि समाज पर भी इसका असर होता है. निश्चित रूप से नशे का प्रभाव अब सामान्य नागरिको के पर भी होने लगा है. हर वर्र्ष देश में करोड़ों रूपये की नशे की वस्तुएं देश में आती है . जिसके चलते अनेक युवा इसके शिकार हो रहे है. हाल ही में पाया गया कि अनेक रेव पार्टियों में नशे का इस्तेमाल किया जाता रहा है. इसलिए नशाखोरी के खिलाफ हर किसी को आगे आना जरूरी है. सीबीआई की जांच में नशे का यह पहलू सामने आने पर नारकोटिक्स विभाग ने भी अपनी जांच तेज कर दी है. इससे अनेक मामले सामने आयेगे और नशे का कुचक्र देश में फैलानेवालों के खिलाफ कडी कार्रवाई भी की जायेगी. नशे के कारण आज युवा पीढ़ी की जीवनशैली प्रभावित हो रही है. समय रहते इस पर कदम उठाना आवश्यक है. यदि इस ओर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो भविष्य में स्थिति और भी जटिल हो सकती है.
वर्तमान में नशे का मामला एक प्रभावी अभिनेता की मृत्यु के बाद सामने आने से इसे जिस तरह लोगों द्वारा उठाया जा रहा है. उसी तरह हर व्यक्ति की मौत को भी तरजीह दी जानी चाहिए. जो लोग वालीवुड से जुड़े है उनके रहने के कारण इस समय नशे की प्रवृत्ति अनेक फिल्मी कलाकारों में फैलने लगी है. इसलिए इस मामले को गंभीरतापूर्वक की जानी चाहिए. कुल मिलाकर नशे का यह कुचक्र अब गंभीर मोड पर आ गया है. हजारों लोग नशे के शिकार है. उनके परिजन भले ही उन्हें संभालते रहे लेकिन सार्वजनिक जीवन में यह सब नहीं किया जा सकता हैे. नशे खोरी का मामला जितना आसान माना जा रहा है. उतना नहीं है. इससे कई लोगों को भारी नुकसान पहुंच रहा है. अत: सरकार को चाहिए की नशाखोरी के मामलों की जांच करते समय दोषियों को कडी से कडी सजा दी जाए व इस मामले में जो भी जुड़ा है उसी को दंडित किया जाए. देश में हर किस्म का नशा किया जा रहा है. जबकि इस तरह का नशा किसी के लिए उचित नहीं क्योंकि एक व्यक्ति नशा करता है तो उसके पीछे उसका पूरा परिवार प्रभावित होता है. सामाजिक क्षेत्र में उसकी जो अवहेलना होती हैतो वह भी चिंतनीय है. बहरहाल सरकार ने नशे के मामलों की जांच आरंभ कर दी है. इस जांच अभियान को और भी तीव्र किया जाना चाहिए ताकि अनेक युवा नशाखोरी के कुचक्र से बच सके. नशे को यदि एक अघोषित युध्द कहा जाए तो वह गलत नहीं है. इससे स्वयं सहित समूचे परिजनों को कठिनाई से गुजरना पड़ता है. अब चूकि जांच आरंभ हो गई है तो उसकी तह तक जाकर हर स्थिति का पता लगाया जाना चाहिए. दोषियों पर कडी कार्रवाई के साथ साथ नशे का कुचक्र देशव्यापी न बने. अभिप्राय यह कि वर्तमान में जो जांच आरंभ हुई है उसे गंभीरता से करना जरूरी है. ताकि देश मेें नशे के नाम पर मौत बेचनेवालों के खिलाफ योग्य कार्रवाई हो सके.