लोकतंत्र की जीत
जम्मू कश्मीर में जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनाव में नागरिको ने सहभागिता का यह स्पष्ट कर दिया है कि लोकतंत्र में उनकी आस्था है. इस चुनाव में यह कहा जाए कि लोकतंत्र की जीत हुई है तथा जनता ने इसके जरिए अलगाववादी एवं आतंकवादियों को करारा जवाब दिया है. भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद सिंग ने कहा है कि जम्मू कश्मीर में हुए डीडीसी के चुनाव अपने आप में एक सुखद पहल है. कश्मीर में जनमानस में यह बात पैठ कर गई है कि विकास के लिए लोकतंत्र की मर्यादाओं का पालन करना जरूरी है, ऐसा करने से लोकतंत्र कायम रहेगा व जनसामान्य को अपनी पकड बन जायेगी. जम्मू कश्मीर में बीते दो तीन दशको से आतंकवाद कायम है. यहां पर मतदान के जरिए सरकार चुनने की प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है. जाहीर है कुछ वर्षो पूर्व तक यहां चुनाव का होना एक अंसभव बात मानी जा रही थी. लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्बारा इस बात को भी संभव कर दिखा दिया गया है. निश्चित रूप से यह एक उपलब्धि है. इससे आनेवाले दिनों में कश्मीर का व्यवहार जनसामान्य को छू गया है. जब तक कश्मीर में धारा 370 कायम थी. तब तक वहां विकास की परिभाषा जमीन से कोसो दूर थी. अब सरकार ने जनसामान्य को उनका नेता चुनने का अधिकार दिया है तो निश्चित रूप से यह बात कश्मीर के हित में है.
बीते कुछ दशक तक कश्मीर में हिंसाचार का सिलसिला जारी है. आतंकवादी तत्व किसी बहाने इस कार्य में बाधा उत्पन्न करना चाहते थे. लेकिन लोगों ने उनकी हिम्मत नहीं हो पायी. क्योंकि भारतीय जवानों ने चुनाव के दौरान कडा प्रबंध रखा था. इस कारण कोई अप्रिय वारदात भी नहीं हो पायी, ऐसे में लोकतंत्र को स्थापित करना वर्तमान सरकार की बडी जीत है. इससे आतंकवादियों में हौसले टूटेंगे. सीमा पर आज भी अनेक आतंकवादियों की घुसपैठ की तैयारिया जारी है. लेकिन भारत के सुरक्षाबलो ने इस घटना से यह साबित कर दिया है जम्मू कश्मीर की जनता लोकतंत्र की बहाली के लिए कुछ भी कर सकते है. आतंकवादियों की डरानेवाली धमकिया भी कश्मीर के मतदाताओं ने नजर अंदाज की. जिससे वहां लोकतंत्र की प्रक्रिया आरंभ हो गई है. इस चुनाव में 74 सीटों का मतदान हुआ. जबकि नैशनल कान्फ्रेंस (एनसी) 67 स्थान पर विजयी रही. पीडी को 27 व कांग्रेस को 26 को स्थान मिले. 49 स्थानों पर निर्दलीय चुने गये. बीजेपी के चुनाव में सबसे बडे दल के रूप में उभरी है. बीजेपी का यहां टिकाव होगा कि नहीं इस बात को लेकर अलग-अलग चर्चाएं चल रही थी. अब भाजपा ने भी अपनी दमदार उपस्थिति दर्शाकर स्वयं को मजबूत किया है. वहीं पर जनमानस ने लोकतंत्र के प्रति अपनापन बढे इसका भी प्रयास किया है.
कुछ वर्षो पूर्व तक कश्मीर की वादियों में गोलियों की आवाज वहां के वातावरण को दूषित कर रही है. अब बीते दो दशको में अनेक लोगों की हत्या की गई. इतना ही नहीं सैन्यबलों पर हमला किया गया. इन सब बातों के बावजूद लोगों में लोकतंत्र के प्रति चाह थी. इसके पहले भी विधानसभा के चुनाव हुए वहां भी जनता ने लोकतंत्र के प्रति अपनी आस्था दर्शायी थी . इस बार धारा 370 हटाए जाने के बाद यह चुनाव हुआ है. जैसा कि कश्मीर के कुछ नेता यह कह रहे थे कि धारा 370 हटाने पर भारी खून खराब होगा. जो कि कही नजर नहीं आया. यह भी उम्मीद की जा रही थी कि यदि लोग नाराज है तो वे बैलेट पेपर के माध्यम से अपनी नाराजगी जतायेंगे. लेकिन यह धारणा भी गलत साबित हुई. इस चुनाव में जीत हार से ज्यादा लोकतंत्र के प्रति लोगों का विश्वास को कायम करना प्रभावी था. लोगों ने लोकतंत्र के प्रति अपनी आस्था दर्शायी है. निश्चित रूप से आनेवाले समय में वादी के विकास के द्बार इस बहाने खुले गये है. जनसामान्य भी विकास चाहता है . अलगांववाद आतंकवाद से वह दूर होकर राष्ट्र के प्रवाह से जुडना चाहता है. लेकिन कुछ अलगांववादी तत्व आज भी लोगों मेें दूरिया बनाने की कोशिश कर रहे है. लेकिन अब यह कोशिश नाकाम रहेगी. इस चुनाव में लोगों में लोकतंत्र के प्रति आस्था जताई है यह सराहनीय है.